2014 में आर्कियोलॉजिकल पुरातत्व विभाग के डॉक्टर भुवन विक्रम के नेतृत्व में खुदाई का कार्य हुआ था, कुछ समय चलने के बाद पुनः बंद करा दिया गया था. उस वक्त भी कई हजार वर्ष पुरानी सांस्कृतिक धरोहर निकली थी. संग्रहालय में उन मूर्तियों को रख दिया गया है.
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