आजकल पीरियड ट्रैकिंग ऐप्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. दुनियाभर में लाखों महिलाएं इन ऐप्स का इस्तेमाल कर रही हैं ताकि वे अपने मेंस्ट्रुअल साइकिल (पीरियड) चक्र को बेहतर तरीके से समझ सकें और प्रजनन हेल्थ पर नजर रख सकें. लेकिन सवाल यह है कि क्या ये ऐप्स वास्तव में हमारे मेंस्ट्रुअल साइकिल को सही तरीके से समझने में मदद करते हैं या नहीं?
पीरियड ट्रैकिंग ऐप्स उपयोगकर्ताओं से कई पर्सनल जानकारी मांगते हैं, जिसमें आपके मेंस्ट्रुअल साइकिल की तारीखें, यौन एक्टिविटी, मूड और शारीरिक लक्षण (जैसे ऐंठन या सूजन) शामिल होते हैं. ये ऐप्स इन आंकड़ों को इक्ट्ठा करके एल्गोरिदम के माध्यम से अनुमान लगाते हैं कि अगला पीरियड कब आएगा, ओव्यूलेशन (ओवुलेशन) कब होगा और प्रजनन की हाई संभावना वाले दिन कौन से होंगे.
क्या ये ऐप्स सटीक हैं?हालांकि पीरियड ट्रैकर ऐप्स उपयोगकर्ताओं को महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं, लेकिन उनकी सटीकता पर सवाल उठाए गए हैं. अधिकांश ऐप्स केवल मेंस्ट्रुअल साइकिल के दिनों के आधार पर भविष्यवाणियां करते हैं, जो कि हर महिला के लिए अलग-अलग हो सकती हैं. शोध के अनुसार, केवल 13 से 16 प्रतिशत महिलाओं का मेंस्ट्रुअल साइकिल चक्र 28 दिनों का होता है, और केवल 13% महिलाओं में ओव्यूलेशन 14वें दिन होता है. यानी कि, ज्यादातर महिलाओं की साइकिल अलग-अलग होती है, जो इन ऐप्स की सटीकता को सीमित कर सकती है.
कौन-से ऐप्स बेहतर हैं?कुछ ऐप्स में बायोमेट्रिक डेटा जैसे शरीर का तापमान, सर्वाइकल म्यूकस (गर्भाशय ग्रीवा बलगम) और यूरिन में हार्मोन लेवल को शामिल किया जाता है, जो ओव्यूलेशन की सटीकता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. हालांकि, कई ऐप्स केवल कैलेंडर के आधार पर भविष्यवाणियां करते हैं और बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग नहीं करते, जिससे उनकी सटीकता कम हो सकती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.