पूरे विश्व में सबसे ज्यादा तेजी से फैल रही बीमारियों में एक डायबिटीज भी है. हाल ही में लेंसेट में किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि इस बीमारी से लोगों की जेब भी तेजी से खाली हो रही है और पूरी दुनिया में 2021 में 966 अरब डॉलर (77 लाख करोड़ रुपये) केवल इस बीमारी से जूझने में खर्च किए गए. अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2019 में पूरी दुनिया में 46 करोड़ लोग इस बीमारी के शिकार हुए थे और उस साल बसे ज्यादा मौत और शारीरिक क्षमता की वजहों में इस बीमारी का आठवां स्थान रहा.
डायबिटीज को गंभीर बीमारी माना जाता है, जो इंसान के शरीर में बी-सेल और इंसुलिन में असंतुलन की वजह से ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी की वजह से होता है. रिपोर्ट के अनुसार, डायबिटीज की वजह से न केवल मरीजों की जेब, बल्कि स्वास्थ्य तंत्र पर भी दबाव बढ़ा है. बताया जा रहा है कि डायबिटीज की वजह से पूरी दुनिया में स्वास्थ्य खर्च वर्ष 2045 तक बढ़कर 1054 अरब डॉलर होने की आशंका है.दुनिया में 90% से ज्यादा लोगों में टाइप-2 डायबिटीजअध्ययन के अनुसार, 2021 में करीब 52.9 करोड़ लोग डायबिटीज के रोगी थे, जिसमें 6.1 फीसदी की दर से पूरी दुनिया में प्रसार हुआ है इसका मतलब है कि दुनिया में हर सौ में से छह व्यक्ति डायबिटीज का शिकार है. यानी इस रोग के प्रसार की अनिश्चितता 5.8 फीसदी से 6.5 फीसदी दर से दर्ज की गई. अध्ययन के अनुसार सभी उम्र के लोग डायबिटीज के शिकार हैं. 20 वर्ष तक की उम्र के लोगों में इसका प्रसार एक फीसदी से भी कम थी.
भारत में हर साल प्रति मरीज औसतन 15 हजार का खर्चरिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2015 से 2020 के बीच डायबिटीज के मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है. इसके अनुसार डायबिटीज पीड़ित हर भारतीय को हर साल 15.535 रुपये का खर्च इसके अलाज में आ रहा है. इसके अलावा ओपीडी खर्च के रूप में वह हर साल अपनी आय का तीन से पांच फीसदी हिस्सा भी खर्च कर रहा है. अगर किसी व्यक्ति में डायबिटीज गंभीर रूप ले लेता है, तो अस्पताल में भर्ती होने और उपचार में उसे प्रति वर्ष के खर्च में औसतन 21 फीसदी यानी 11000 रुपये बढ़ोतरी हो रही है.
204 देशों के परिणामों का किया गया अध्ययनअध्ययन में वायु प्रदूषण, धूम्रपान, उच्च बीएमआई, न्यूनतम शारीरिक गतिविधि आदि को भी शामिल किया गया. महामारी विज्ञान की पद्धति के आधार पर 204 देशों के परिणामों का अध्ययन किया गया है. इसमें एसडीआई और बीएमआई का भी प्रयोग किया गया.