पीलीभीत. आमतौर पर आपने लोगों को देवी-देवताओं की पूजा करते देखा होगा लेकिन उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले में चौराहों की पूजा की जाती है. ऐसा किसी विशेष चौराहे के लिए नहीं बल्कि प्रत्येक चौराहे के लिए है. यहां चौराहों को देवी मान कर उन्हें पूजा जाता है. नवरात्रि या फिर विशेष दिनों के समय तो आलम यह रहता है कि चौराहों पर पूजा करने वालों का तांता लगा रहता है.चौराहों की पूजा करने को लेकर लोकल 18 की टीम ने पीलीभीत शहर के शास्त्री पं. विष्णु शंखधार से खास बातचीत की है. आचार्य विष्णु बताते हैं कि हिंदू धर्म का दायरा काफी अधिक बड़ा है. यहां भगवान के अलग-अलग स्वरूपों को माना जाता है. अगर रीतियों की बात करें तो यह प्रमुख रूप से तीन प्रकार की होती हैं. शास्त्र रीति, देश रीति व कुल रीति, शास्त्र रीति वह जो शास्त्रों के अनुसार हो, देश रीति वह जो आपके इलाके में मानी जाती हो और कुल रीति वह जो आपके पूर्वजों से चली आ रही है. आचार्य विष्णु का कहना है कि जहां तक उनका अध्ययन है शास्त्रों में चौराहों को देवी मान कर उन्हें पूजने का कोई विधान नहीं है. लेकिन चूंकि पीलीभीत में सदियों से यह परंपरा चलती आ रही है तो लोग इसका निर्वहन कर रहे हैं.परंपरा ने लिया आडंबर का रूपचौराहों पर पूजा करने की परंपरा के बारे में लोकल 18 से बातचीत करते हुए पीलीभीत के वरिष्ठ पत्रकार संदीप सिंह बताते हैं कि जहां तक मेरा मानना है यह शुरुआती दौर में बड़े बुजुर्गों ने साफ-सफ़ाई के लिहाज़ से शुरू किया होगा. लेकिन समय के साथ इस परंपरा ने आडंबर का रूप ले लिया है. लोग चौराहों की पूजा से इतर यहां पर टोना-टोटका भी इस्तेमाल करने लगे हैं. वहीं अधिकांश चौराहों पर पक्का निर्माण भी कर लिया गया है.FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 19:07 IST