पीलीभीत की इस कॉलोनी के लोग बहा रहे बदहाली के आंसू, पिता को खोया तो बेटे का छलका दर्द

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पीलीभीत की इस कॉलोनी के लोग बहा रहे बदहाली के आंसू, पिता को खोया तो बेटे का छलका दर्द



रिपोर्ट: सृजित अवस्थी
पीलीभीत: यूपी के पीलीभीत में रेलवे स्टेशन के पास बसी जोशी कॉलोनी सालों से बदहाली के आंसू रो रही है. यह कॉलोनी पूरी तरह से शहर से अलग-थलग है. लगभग 4 सालों से कॉलोनी का एकमात्र अस्थाई रास्ता भी बंद हो गया है. ऐसे में मरीजों, स्कूली बच्चों और नौकरीपेशा लोगों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मामला पीलीभीत के बरहा क्रासिंग पर टनकपुर और मैलानी रेलवे लाइन के बीच बसी जोशी कॉलोनी का है. जानकारी के मुताबिक, कॉलोनी लगभग 35 साल पहले बसी थी. आज की तारीख में यहां 250 से अधिक घरों में तकरीबन 2500 लोग रहते हैं, लेकिन कॉलोनी का कोई निकास रोड नहीं है. कुछ समय पहले तक एक अस्थाई रास्ता होता था. लेकिन 2018 में टनकपुर और मैलानी रेलवे लाइन को मीटरगेज से ब्रॉडगेज में बदलने का काम शुरू किया गया था. तब से ही यह एकमात्र निकास भी बंद कर दिया गया. ऐसे में कॉलोनी से शहर का सम्पर्क लगभग टूट गया है. कई मामले ऐसे भी हो चुके हैं, जिसमें मरीजों की देर से अस्पताल पहुंचने की वजह से मौत हो गई थी.
काश रास्ता होता तो आज पापा साथ होतेजोशी कॉलोनी निवासी रवि गोस्वामी ने न्यूज 18 लोकल से बातचीत के दौरान बताया कि आज से करीब एक साल पहले उसके पिता जी के सीने में अचानक दर्द उठा था. हार्टअटैक की आशंका थी, तो फटाफट अस्पताल लेकर भागा, लेकिन पुराना रास्ता बंद होने की वजह से पूरा गांव घूम कर शहर जाना पड़ा. तब तक बहुत देर हो गई थी. पिताजी ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. रवि ने कहा कि अगर समस्या हल नहीं हुई तो आए दिन ऐसी घटनाएं होंगी और हम ऐसे ही अफसोस करते रहेंगे.
राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता कमल की भी सुनवाई नहींराष्ट्रपति पुरस्कार विजेता दिव्यांग क्रिकेटर कमल शर्मा का घर भी इसी कॉलोनी में है. कमल ने अपने जज्बे के दम पर बेहतर प्रदर्शन किया और पूरे जिले का नाम देश भर में रोशन किया. कमल को चुनाव आयोग ने ब्रांड अंबेसडर भी बनाया था, लेकिन कमल और उनके परिवार की समस्या का हल नहीं किया गया. कमल के परिवार ने बताया कि राष्ट्रपति पुरस्कार जीतने पर पूरी कॉलोनी बेटे का ढोल नगाड़ों से स्वागत करना चाहती थी, लेकिन रास्ते के अभाव के चलते सबकी आस अधूरी रह गई.
200 मीटर की दूरी अब 4.5 किलोमीटर2018 में ब्रॉडगेज का काम शुरू होने से पहले कॉलोनी से 200 मीटर की दूरी पर करीब 5-6 फुट चौड़ा एक निकास मार्ग था, लेकिन बाद में वह भी बंद हो गया. ऐसे में अब अगर कॉलोनी वासियों को शहर की ओर निकलना होता है तो उन्हें गौहनियां गांव के रास्ते निकलना होता है, जो कि लगभग 4.5 किमी. अधिक है. इसकी वजह से नौकरीपेशा, स्कूली बच्चों, मरीजों आदि को समस्याओं को सामना करना पड़ता है.
4 सालों से परेशान, कोई सुनने वाला नहींकॉलोनी वासियों की मानें तो उन्होनें ग्राम प्रधान से लेकर आला अधिकारियों के आगे अपनी समस्या रखी, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं की गई. इन लोगों ने चुनाव के समय भी कई विरोध-प्रदर्शन किए थे. चुनाव की गर्मजोशी में आश्वासन तो मिले लेकिन सामाधान के नाम पर आज भी कॉलोनी वासियों के हाथ खाली हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Pilibhit news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : July 16, 2022, 13:11 IST



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