पीलीभीत : बीते कुछ समय में पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बाघों के वीडियो की इंटरनेट पर बाढ़ सी आ गई है. सामान्य चहलकदमी के साथ ही कई ऐसे वीडियो सामने आते हैं जिसमें बाघ पेड़ से खेलते या फिर उस पर चढ़ने की कोशिश करते हुए नजर आते हैं. लेकिन हकीकत इससे परे है. जंगल में मौजूद पेड़ बाघ के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है जो सीधे तौर पर उसके साम्राज्य और सर्वाइवल से जुड़ा है.बाघ के सर्वाइवल में पेड़ों की अहमियत से पहले हमें बाघ की प्रवृत्ति व उसके व्यवहार को समझना होगा.
स्वतंत्र शोधकर्ता और वन्यजीव विशेषज्ञ प्रांजलि भुजबल ने लोकल 18 को बताया कि बाघ जंगल के सबसे अहम वन्यजीवों में से एक है. महज बाघ की मौजूदगी के चलते जल, जंगल व जमीन समेत हजारों प्रजातियों के वन्यजीवों की सुरक्षा होती है. बाघ की प्रवृत्ति और उसके व्यवहार की बात करें तो बाघ मूल रूप से रात में घूमने वाला जानवर है जो केवल और केवल मांस खाता है. जंगल में मौजूद अन्य छोटे जानवर उसका भोजन होते हैं.
60 किमी तक हो सकती है बाघ की टेरिटरीबाघ एक टेरीटोरियल जानवर होता है यानि हर बाघ का एक एरिया होता है. एक नर बाघ 50 से 60 वर्ग किमी के जंगल को टेरिटरी बनाता है. नर बाघ के साथ दो बाघिन रह सकती हैं. नर बाघ अपनी टेरिटरी में किसी अन्य नर बाघ का दखल बर्दाश्त नहीं करता. हालांकि एक नर बाघ की टेरिटरी में एक व एक से अधिक बाघिन देखी जाती हैं. जंगल की भौगोलिक परिस्थितियों व भोजन, पानी की स्थिति के आधार पर इस इलाके का क्षेत्रफल अलग अलग हो सकता है. लेकिन बाघ एक बड़े इलाके पर राज करता है और अमूमन एकांत में रहना पसंद करता है.
क्या है टेरिटरी मार्किंग?इतने बड़े इलाके को दूसरे बाघों से बचाने के लिए बाघों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. एक बाघ अपनी मां से 2 से 2.5 वर्ष की उम्र में अलग होने के बाद लगभग अपना पूरा जीवनकाल अपने साम्राज्य की सुरक्षा और अपने वंश की वृद्धि की जद्दोजहद में में बिताता है. बाघ रोजाना अपनी टेरिटरी की गश्त और अपनी उसकी निशानदेही करता है. आपने अक्सर बाघों को जंगल में मौजूद पेड़ों पर कुछ न कुछ गतिविधि करते देखा होगा. वह मामूली प्रक्रिया नहीं बल्कि बाघ की दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है जिसे टेरिटरी मार्किंग कहा जाता है.
बाघ ऐसे करता है टेरिटरी मार्कप्रांजलि भुजबल ने बताया कि बाघ पेड़ों को अपने पंजों से रगड़ता है. ऐसा करने से एक तो उसके पंजे साफ व नुकीले रहते हैं. वहीं पेड़ों पर निशान और नाखूनों से निकलने वाले सेंट के जरिए बाघ टेरिटरी में अपनी मौजूदगी दर्ज करता है. जिससे जंगल के अन्य बाघों को उसकी मौजूदगी की जानकारी रहे. बाघ कुछ अन्य तरीकों से भी अपनी टेरीटरी को चिन्हित करते हैं. जिसमें यूरिन स्प्रे, जमीन पर पंजों से निशान व पेड़ों पर अपने शरीर को रगड़ना शामिल हैं.
Tags: Local18, Pilibhit news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 19:08 IST