Pea Farming : मटर की बुवाई से पहले करें 3 आसान उपाय, नहीं लगेगा ये खतरनाक रोग! जानें एक्सपर्ट की राय

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Pea Farming : मटर की बुवाई से पहले करें 3 आसान उपाय, नहीं लगेगा ये खतरनाक रोग! जानें एक्सपर्ट की राय

शाहजहांपुर: अक्टूबर के महीने में किसान मटर की फसल उगाते हैं. किसान हरी मटर बेचकर कम दिनों में अच्छा मुनाफा पा सकते हैं, तो कई किसान मटर को पकने के बाद तुड़ाई करते हैं. फसल की उपज अच्छी मिले, इसके लिए किसानों को सजग रहना चाहिए. फसलों पर कोई रोग नहीं लगे, इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए. मटर में मुख्य रूप से तीन रोग लगते हैं. बुकनी रोग, उकठा रोग और रतुआ रोग. ये तीनों बीमारियां फसल को बर्बाद कर सकती हैं. ऐसे में जरूरी है कि मटर की फसल की बुवाई के वक्त ही उकठा रोग का प्रबंधन कर लें.

जिला उद्यान अधिकारी पुनीत कुमार पाठक ने लोकल 18 को बताया कि मटर की फसल में उकठा रोग एक गंभीर बीमारी है जो पौधे की जड़ों को प्रभावित करती है. यह रोग एक प्रकार के फंगस के कारण होता है जो मिट्टी में पाया जाता है. यह फंगस पौधे की जड़ों को संक्रमित करता है, पानी और पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालता है. इस रोग के कारण पौधे धीरे-धीरे मुरझाकर सूख जाते हैं. शुरूआत में पौधे की निचली पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. पौधे का तना या जड़ को काटने पर अंदर भूरा रंग दिखाई देता है. पौधा धीरे-धीरे मुरझा जाता है और पौधा सूख जाता है.

बुवाई से पहले करें ये कामपुनीत कुमार पाठक ने बताया कि इस रोग से फसल को बचाने के लिए बीज का उपचार करना बेहद जरूरी है. बीज को उपचारित करने के बाद ही मटर की फसल की बुवाई करें. बीज उपचारित करने के लिए 3 ग्राम थीरम (Thiram) प्रति किलो बीज के हिसाब से इस्तेमाल करें. इसके अलावा किसी सिस्टमैटिक कीटनाशक का इस्तेमाल भी भी उपचारित करने के लिए करें.

समय से पहले न करें बुवाईपुनीत कुमार पाठक ने बताया कि मटर की अच्छी फसल के लिए मृदा उपचार भी बेहद जरूरी है. क्योंकि यह रोग फंगस जनित है. ऐसे में खेत की गहरी जुताई करने के बाद अंतिम जुताई से पहले ट्राईकोड्रमा को गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर खेत में बिखेर दें, बाद में पाटा लगाकर खेत को समतल कर मटर की बुवाई कर दें. उसके बावजूद भी अगर फसल में रोग के लक्षण दिखाई दें, तो रोग प्रभावित पौधे को उखाड़ कर खेत से बाहर कर नष्ट कर दें. साथ ही ये ध्यान रखें की अगर बार-बार एक ही खेत में उकठा रोग लग रहा है तो इस रोग से बचाव के लिए संक्रमित खेत में दो-तीन साल तक मटर न बोएं. मटर की बुआई समय से पहले न करें क्योंकि इसी से यह बीमारी लगती है.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 18:38 IST

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