PDA, महिलाओं और युवाओं पर फोकस, 2027 के लिए अखिलेश यादव कैसे CM योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो काटेंगे’ के नारे को दे रहे चुनौती

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PDA, महिलाओं और युवाओं पर फोकस, 2027 के लिए अखिलेश यादव कैसे CM योगी आदित्यनाथ के 'बंटेंगे तो काटेंगे' के नारे को दे रहे चुनौती

हाइलाइट्सलोकसभा चुनाव के फॉर्मूले को अखिलेश यादव 2027 के चुनाव में भी आजमाएंगे पीडीए फॉर्मूले की अपर सफलता के बाद अखिलेश यादव अब युवाओं को दे रहे मौका अखिलेश यादव MY फॉर्मूले के साथ ही दलित युवाओं को राजनीति में ला रहे आगे लखनऊ. लोकसभा चुनाव 2024 में मिली अप्रत्याशित जीत के बाद अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव 2027 के विधान्सबह चुनाव में जीत की इबारत लिख सत्ता में वापसी के पालन पर काम कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की PDA पॉलिटिक्स लोकसभा चुनाव में हिट रहा. अब PDA का चेहरा युवा बनते हुए नज़र आ रहे हैं. अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों में युवा इकरा हसन पर भरोसा करते दिखे. कैराना सीट पर नाहिद हसन के बाद उनकी पत्नी को उतारने की चर्चा थी, लेकिन अखिलेश ने युवा इकरा पर भरोसा जताया. वहीं, तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज पर दांव लगाकर मछलीशहर में दलित राजनीति को साधने की अखिलेश ने कोशिश की. इन दोनों पर लगाया गया दांव सफल रहा. सपा अब PDA के साथ युवा चेहरे पर भी नज़र लगाए हुए हैं. समाजवादी पार्टी के पुष्पेंद्र सरोज सबसे युवा सांसद भी हैं. वह भारत के इतिहास के सबसे युवा सांसद हैं.  उनकी उम्र 25 साल है.  समाजवादी पार्टी उनको भी चेहरा बना रही है.

लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जब संविधान पर चर्चा हुई तो अखिलेश ने अपने युवा सांसदों को मोर्चे पर लगाया. यह दांव भी कारगर साबित हुआ. यूपी उपचुनावों के परिणाम के बाद वे पीडीए राजनीति को धार देने में जुटे हैं. दरअसल, भाजपा ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के साथ हिंदू समाज के सभी वर्गों को एक सूत्र में बांधने की कोशिश की, इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली. ऐसे में युवा नेताओं के जरिए अखिलेश यादव वर्तमान सरकार की नीतियों पर हमला कर एक बड़े वर्ग को साधने का प्रयास करते दिख रहे हैं.

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टारगेट में यूपी चुनाव 2027 हैवरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल के मुताबिक प्रदेश की सत्ता से बेदखल अखिलेश यादव हर हाल में 2027 में वापसी करना चाहते हैं. लिहाजा, लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद उपचुनाव में हार के बावजूद भी वे अपने पीडीए फॉर्मूले पर ही आगे बढ़ रहे हैं. ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि 2017 में बाद से 2024 में ही उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई. उनका टारगेट 2027 का चुनाव है. मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के गठन के साथ एक जातीय समीकरण को आधार बनाया था. मंडल कमीशन के बाद 80 के दशक में ओबीसी राजनीति उभार पर था. समाजवादी पार्टी बनाकर राजनीति शुरू की तो उनके पास जमा-जमाया वोट बैंक मुस्लिम-यादव का था. करीब 32 फीसदी वोट बैंक वाले MY समीकरण को साधकर वे राजनीति की सीढ़ी चढ़ते रहे. 2012 में पहली बार समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत की सरकार इसी समीकरण के सहारे बनी.

मुलायम की रणनीति पर लौटे अखिलेशमुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी में वे खुद यादव वर्ग का नेतृत्व करते थे. यादव समाज सैफई परिवार के पीछे एकजुट होकर खड़ा दिखा. वहीं, अल्पसंख्यक राजनीति को उन्होंने आजम खान, शफीकुर्रहमान बर्क जैसे बड़े चेहरे से साधा. आजम हमेशा मुलायम के पीछे खड़े दिखे. वहीं, ओबीसी-दलित राजनीति को साधने के लिए उन्होंने बेनी प्रसाद वर्मा, अवधेश प्रसाद, गायत्री प्रजापति जैसे नेताओं का सहारा लिया.

2024 के लोकसभा में 86 फीसदी PDA के उम्मीदवार जीतेअखिलेश यादव ने भी M और Y समीकरण से आगे बढ़ते हुए गैर यादव ओबीसी और दलित वोटरों पर भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की. 2024 के लोकसभा चुनाव ने उन्हें बड़ी सफलता दी है. साथ ही, कई चेहरे भी उभर कर आए हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में सपा के विजयी 86 फीसदी से अधिक सांसद ओबीसी, दलित और मुस्लिम पृष्ठभूमि से हैं. सपा के 37 सांसदों में ओबीसी से 20, एससी से आठ और मुस्लिम समुदाय से चार सांसद शामिल हैं. इनके अलावा ब्राह्मण सनातन पांडेय, वैश्य रुचि वीरा और भूमिहार राजीव राय जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. वहीं, बीरेंद्र सिंह और आनंद भदौरिया के रूप में दो ठाकुर भी जीते. फैजाबाद से सपा ने दलित उम्मीदवार अवधेश प्रसाद को चुनावी मैदान में उतारा. उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लल्लू सिंह को हरा दिया. मेरठ में दलित सुनीता वर्मा ने भाजपा के राम यानी अरुण गोविल को कड़ी टक्कर दी. इनमें सबसे अधिक 10 टिकट कुर्मी और पटेल बिरादरी को दिए गए. इस कारण नरेश उत्तम, लालजी वर्मा, एसपी सिंह पटेल, राम प्रसाद चौधरी सांसद हो गए.

PDA के साथ युवा चेहरासमाजवादी पार्टी यह भी मानती है कि युवाओं के पास अभी राजनीति करने का ज्यादा मौका है ऐसे में दूसरी पीढ़ी के लिए नए नेताओं को तैयार करना भी बेहद जरूरी है. PDA के साथ युवा चेहरे का कंबीनेशन क्या गुल खिलाएगा यह तो 2027 में पता चलेगा, लेकिन समाजवादी पार्टी इस रणनीति पर आगे बढ़ती हुई नजर आती है.
Tags: Akhilesh yadav, Lucknow news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 14:40 IST

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