पटना. कला के विभिन्न रूप होते हैं, और उस कला के कद्रदान भी. मगर कलाकारी करना आसान बात नहीं है. कुछ कला मेहनत और निरंतर अभ्यास कर के सीखी जा सकती है. तो वहीं, कुछ कला जन्मजात होती है. ऐसी ही एक कला की बात हम यहां कर रहे हैं, जिसे नक्काशी कहते हैं. लकड़ियों पर नक्काशी करना गजब की कला है. इसके लिए कारीगरों को घंटों अपना तन और मन खपाना पड़ता है.बिहार की राजधानी पटना में टोल प्लाजा के पास छोटी नगला पर स्थित लकड़ी के कारखाने में हर प्रकार के फर्नीचर को उम्दा तरीके की नक्काशी कर के बनाया और सजाया जाता है. इसके लिए भारी ऑटोमैटिक मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि कारीगरों की कला का उपयोग किया जाता है. नक्काशी के लिए यहां उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और पश्चिम बंगाल से कारीगर बुलाए गए हैं, जो अपने सधे हाथों से लड़कियों को तराशते हैं.कारखाना के मालिक अनिमेष प्रियदर्शी बताते हैं कि उनके यहां के डिजाइनर सोफे, किंग और क्वीन साइज बेड, टी-टेबल, कुर्सियां, दिल्ली और महाराजा स्टाइल के फर्नीचर केरल, असम, झारखंड, ओडिशा जैसे राज्यों तक जाते हैं. फर्नीचर में नक्काशी के चाहने वाले इन फर्नीचर को विभिन्न दुकानों से भी खरीदते हैं. मार्केट में डिजाइनर फर्नीचरों की डिमांड खूब होती है.लॉकडॉउन में आया था बिजनेस का आइडियाबीसीए कर चुके अनिमेष प्रियदर्शी बताते हैं कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान उन्हें लड़कियों की बिजनेस का आइडिया आया. फिर क्या था, उन्होंने इस काम को सीखना शुरू किया और देखते ही देखते उनका स्टार्ट अप काम चल निकला. अनिमेष कहते हैं कि सहारनपुर के कारीगरों में कारीगरी का गुण जन्मजात होता है. इसलिए वो अन्य जगहों के बनिस्पत वहां के कारीगरों को यहां बुलवा कर लकड़ी पर नक्काशी का काम करवाते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : January 31, 2023, 15:55 IST
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