Sumit Antil Paris 2024 Paralympics: भारत के जेवलिन स्टार सुमित अंतिल ने पेरिस में एक शानदार प्रदर्शन के साथ पैरालंपिक में लगातार दूसरा गोल्ड मेडल जीता. सुमित ने गोल्ड का वादा किया था और उसे पूरा किया. टोक्यो के बाद अब पेरिस में भी उन्होंने सोने पर निशाना साधा. अपने 6 थ्रो के दौरान सुमित ने अपना ही पैरालंपिक रिकॉर्ड दो बार तोड़ा. सुमित ने टोक्यो में 68.55 मीटर की दूरी तय करके गोल्ड जीता था और एक नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया था.
सुमित का रिकॉर्डतोड़ परफॉर्मेंस
सोमवार को इस रिकॉर्ड को सुमित ने पहले ही प्रयास में तोड़ दिया. उन्होंने 69.11 मीटर की दूरी तय की . उनकी खुशी उस समय दोगुनी हो गई जब जेवलिन स्टार ने 70.59 मीटर की दूरी तय करके अपना ही रिकॉर्ड एक बार फिर तोड़ा. अंतिल का तीसरा थ्रो 66.66 मीटर था और चौथा थ्रो अमान्य घोषित कर दिया गया था. सुमित ने पांचवें थ्रो में एक और शानदार प्रदर्शन किया जब उन्होंने 69.04 मीटर की दूरी तय की, जिससे लगभग सुनिश्चित हो गया कि वह गोल्ड मेडल के साथ घर लौटेंगे. पैरालंपिक तक पहुंचने की उनकी कहानी काफी संघर्षों से भरी रही है.
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सात साल की उम्र में पिता को खोया
7 जून 1998 को पैदा हुए सुमित ने बचपन में ही पिता को खो दिया था. पिता रामकुमार एयरफोर्स में थे. बीमारी के कारण उनकी मौत हो गई. तीन बहनों में वह इकलौते भाई हैं. पिता के निधन के बाद सुमित और उनकी बहनों को मां ने कई तरह के दुखों को सहते हुए बड़ा किया.
The Sumit Supremacy!!!
A Paralympic Record, a title Defended, a spectacular moment that will inspire generations!Congratulations, @sumit_javelin, for clinching Gold in Men’s Javelin Throw F64 at #Paralympics2024!Your performance is a masterclass in courage & commitment,… pic.twitter.com/C7ErIef7FL
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 2, 2024
हादसे का हुए थे शिकार
पिता को खोने के बाद सुमित को एक और झटका लगा. जब वह 12वीं में थे तो सड़क दुर्घटना का शिकार हुए थे. सुमित की जान बच गई थी, लेकिन उन्हें अपना पैर गंवाना पड़ा था. वह कॉमर्स की ट्यूशन से वापस घर लौट रहे थे. उनकी बाइक को ट्रैक्टर-ट्रॉली ने टक्कर मार दी थी.
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दुनिया में कमाया नाम
पिता को खोने और अपने पैर को गंवाने के बावजूद सुमित उदास नहीं हुए. उन्हें दोस्तों और रिश्तेदारों का साथ मिला. सुमित ने खेल में दिल लगाया और साई सेंटर पहुंच गए. उन्होंने द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच नवल सिंह से जैवलिन थ्रो को सीखा. वह 2018 एशियन चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे थे. वहां पांचवें नंबर पर रहे थे. इसके बाद 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर जीता. फिर 2020 टोक्यो और 2024 पेरिस पैरालंपिक में पहला स्थान हासिल किया.
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