आजमगढ़. सरकारी दस्तावेजों में मृत हो चुके एक व्यक्ति के जीवन पर आधारित फिल्म कागज तो आपको याद ही होगी. इसमें मुख्य किरदार खुद को जिंदा साबित करने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाता दिखाई देता है. ये कहानी आजमगढ़ के रहने वाले लाल बिहारी के जीवन की सत्यघटना पर आधारित है. लाल बिहारी ने ऐसे लोगों की मदद करने के लिए ‘मृतक’ नाम का संगठन बनाया है. साथ ही अपने के पीछे ‘मृतक’ उपनाम जोड़ लिया. अब उन्होंने एके-47 का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन किया है.
आजमगढ़ के रहने वाले लाल बिहारी ‘मृतक’ दस्तावेजों में मृत हो चुके लोगों की मदद के लिए काम करने वाले संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. लाल बिहारी ने कहा कि वह जिन लोगों के लिए अधिकारियों से लड़ते हैं, उसमें उनकी जान को खतरा है. ऐसे में “मुख्य सचिव से निवेदन है कि मुझे एक एके-47 बंदूक का लाइसेंस दें. मुझे पता है कि आमजनता के लिए यह शस्त्र प्रतिबंधित है, लेकिन इसको एक मृतक को दिया जा सकता है.”
19 सालों तक सरकारी रिकॉर्ड में रहे मृतलाल बिहारी सरकारी रिकॉर्ड में 19 साल तक मृत रहे थे. बाद में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद रिकॉर्ड में उन्हें जीवित दिखाया गया. उन पर पंकज त्रिपाठी के अभिनय वाली एक फिल्म ‘कागज’ भी बनी है, जिसे सतीश कौशिक ने निर्देशित किया है. लाल बिहारी ने कहा कि ‘मैं मुख्य सचिव से अनुरोध करता हूं कि मुझे एके-47 राइफल का लाइसेंस लेने की अनुमति दी जाए. क्योंकि मुझे ऐसे कई लोगों के लिए संघर्ष करने की वजह से जान का खतरा है. जो जीवित हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में मर चुके हैं.’
आमजन के प्रतिबंधित है एके-47लाल बिहारी ने बताया कि वह यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्रतिबंधित बंदूक के लिए लाइसेंस प्रदान करने का आग्रह करेंगे. बता दें कि भारत में कोई भी व्यक्ति लाइसेंस शुदा एके-47 नहीं रख सकता, क्योंकि यह हथियार केवल विशेष बलों के लिए है. इस पर लाल बिहारी मृतक ने बताया कि मुझे पता है कि यह अत्याधुनिक बंदूक आम जनता के लिए प्रतिबंधित है, लेकिन इसे ‘मृतक’ (मृत व्यक्ति) को दिया जा सकता है.
इस वजह से हुए थे मृत घोषितलाल बिहारी साल 1975 से 1994 के बीच आधिकारिक तौर पर ‘मृत’ रहे थे. जब उन्होंने बैंक से ऋण के लिए आवेदन किया था, तब उन्हें पता चला कि राजस्व रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है. उनके चाचा ने उन्हें मृत दर्ज करने के लिए एक अधिकारी को रिश्वत दी थी और उनकी पैतृक भूमि का मालिकाना हक अपने नाम पर स्थानांतरित करवा लिया था. लाल बिहारी मृतक ने खुद को जीवित साबित करने के लिए 19 साल तक ब्यूरोक्रेसी से लड़ाई लड़ी. इस बीच उन्होंने अपने नाम के साथ ‘मृतक’ भी जोड़ लिया था.
.Tags: AK-47 Rifle, Azamgarh news, UP newsFIRST PUBLISHED : November 9, 2023, 19:03 IST
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