रिपोर्ट : संजय यादव
बाराबंकी. साढ़े पांच हजार वर्ष सुनने में तो काफी कम लगते है. मगर सोचों तो ना जाने कितनी पीढ़ियां काल के कपाल में समां चुकी है. इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी दुनिया में अगर कहीं कोई महाभारत काल का जिन्दा गवाह मौजूद है तो वह सिर्फ और सिर्फ उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में है.
महाभारत काल के समय की कई पौराणिक चीजें बाराबंकी में मौजूद हैं. वहीं फतेहपुर में स्थित शमी के वृक्ष का भी अपना एक अलग आध्यात्मिक इतिहास है. कहा जाता है कि यह वृक्ष पौराणिक महाभारत कालीन है. इस वृक्ष को पांडवों ने लगाया था जो आज भी महाभारत की याद दिलाता है.जनपद बाराबंकी के तहसील फतेहपुर में श्री शक्ति धाम महादेव मंदिर में लगा शमी का पेड़ 5 हजार वर्ष पुराना माना जाता है. कहा जाता है पांडवों ने अज्ञातवास में अपने सारे अस्त्र-शस्त्र इसी वृक्ष में छुपाए थे. इसलिए इस पेड़ को अद्भुत शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है. इस वृक्ष की पूजा हर शानिवार को की जाती है. विजयादशमी के दिन देश के कोने-कोने से लोग यहां आकर हवन और पूजन और अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं.
पांडवों से जुड़ी है मान्यताएंमान्यता है की पांच हजार वर्ष पूर्व जब पांडवों का अज्ञातवास के दौरान नैमिष से होते हुए भगौली तीर्थ जा रहे थे उसी दौरान महादेव तालाब के पास यह शमी इसी पेड़ पर पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र छुपाए थे. इस पेड़ की देखरेख मंदिर प्रशासन करता है. शमी पेड़ के साथ यहां पर शनिदेव के साथ भगवान भोलेनाथ का भी मंदिर है लोग स्नान करके शमी पेड़ के साथ शनिदेव और भगवान भोलेनाथ की भी पूजा अर्चना करते हैं.
लोग करते हैं वृक्ष की पूजायहां के पुजारी ने बताया यह वही शमी का वृक्ष है जो यहां पर पांडवों ने अपने अज्ञातवास को पूर्ण करने के लिए अपने अस्त्र शस्त्रों को टांगा था. यहीं से यात्रा करते हुए कुंतेश्वर धाम गए थे. यह देश का पहला पेड़ है जहां विजयादशमी के दिन इस पेड़ के नीचे अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Barabanki News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : March 16, 2023, 22:57 IST
Source link