विशाल तिवारी /सुल्तानपुर: जब 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब पाकिस्तान से भारत आए सिखों ने पूरे देश में छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटकर शरण ली. उसी समय सुल्तानपुर में भी सिखों की छोटी सी आबादी ने शरण ली और उसी दौरान सुल्तानपुर शहर में सिखों ने एक गुरुद्वारे की स्थापना करवाई, जो आज शहर में डेड बॉडी फ्रीजर की सुविधा देने वाला गुरुद्वारा बन गया है और यह सुविधा सुल्तानपुर के लोगों के लिए निशुल्क है.
सुल्तानपुर का है ऐतिहासिक धरोहर
यह गुरुद्वारा सुल्तानपुर की ऐतिहासिक धरोहर माना जाता है. जो श्री गुरु सिंह सभा, सुल्तानपुर द्वारा संचालित किया जा रहा है. 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तब पाकिस्तान से आए सिखों ने कुछ आबादी के साथ सुल्तानपुर में शरण ली और जिस इलाके में ये बसे सरकार द्वारा उसे रिफ्यूजी कालोनी के नाम से अलॉट कर दिया गया. उसी दरमियान सिखों ने कल्लू घोषी नाम के व्यक्ति से जमीन का बैनामा करवाया और 1960-62 के करीब गुरुद्वारे की स्थापना की.
चलता है रोटी खाओ- रोटी खिलाओ अभियान
वैसे तो सुल्तानपुर जिले में सिख समुदाय की आबादी नाममात्र की है, लेकिन गुरुद्वारे के सहयोग से यह समुदाय कई सामाजिक कार्यों को करता है. जिसमें सुल्तानपुर जिला अस्पताल में प्रत्येक सप्ताह रोटी खाओ- रोटी खिलाओ के नाम से मानवीय सेवा का कार्य किया जा रहा है. इसी वजह से इस गुरुद्वारे को सुल्तानपुर की अमूर्त धरोहर माना जाता है.
डेड बॉडी फ्रीज़र रखने का उद्देश्य
श्री गुरु सिंह सभा द्वारा संचालित गुरुद्वारा के सदस्य महेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे में 4 डेड बॉडी फ्रीज़र की व्यवस्था की गई है, जो गुरुद्वारा द्वारा शहर के लोगों के लिए निशुल्क रूप में उपलब्ध है. डेड बॉडी फ्रीज़र के साथ-साथ गुरुद्वारे में एक शव वाहन भी मौजूद है. जिसका उद्देश्य मानवीय सेवा में गुरुद्वारे की हिस्सेदारी को बढ़ाना है.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 1, 2024, 11:57 IST