जौनपुर: जिले के मछलीशहर कोतवाली क्षेत्र के बसिरहा गांव के चार मछुआरे साल 2022 में रोज़गार के लिए गुजरात के ओखा तट पर मछली पकड़ने गए थे. गलती से वे पाकिस्तान की समुद्री सीमा में चले गए, जहां पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़कर जेल में डाल दिया. इनमें से एक मछुआरा घुरहू बिंद अब लौटकर शव बनकर आया.
गांव में मचा कोहराम, चूल्हा भी नहीं जला
घुरहू बिंद का शव जैसे ही उसके पैतृक गांव पहुंचा, पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. शव देखते ही परिजनों की चीख-पुकार गूंज उठी. मां-बाप, पत्नी और बच्चों की हालत देख गांव की आंखें नम हो गईं. बताया गया कि पिछले एक सप्ताह से गांव में किसी घर में चूल्हा तक नहीं जला था.
पाक जेल में मिलती थी प्रताड़ना
परिजनों और ग्रामीणों के अनुसार पाकिस्तान की जेलों में भारतीयों को शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जाती हैं. घुरहू द्वारा पहले भेजे गए पत्रों में इशारों में प्रताड़ना का जिक्र किया गया था. भोजन की कमी, चिकित्सा सुविधा न मिलना और मारपीट आम बात थी. परिजन मानते हैं कि घुरहू की मौत भी इन अमानवीय परिस्थितियों का नतीजा है.
सूचना देने में हुई देरी से गुस्से में ग्रामीण
पाकिस्तान की ओर से शव की सूचना बहुत देर से दी गई, जिससे परिवार को तैयार होने का मौका नहीं मिला. इस देरी को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि पाकिस्तान में बंद अन्य भारतीय मछुआरों की तुरंत रिहाई के लिए कड़े कदम उठाए जाएं.
जिला प्रशासन ने दिया सहायता का आश्वासन
घुरहू बिंद का शव बाघा बॉर्डर से जिला प्रशासन की निगरानी में गांव लाया गया. अंतिम संस्कार सरकारी सम्मान के साथ किया गया. प्रशासन ने परिजनों को हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया है.
अब भी तीन मछुआरे पाकिस्तान की जेल में बंद
बसिरहा गांव के बाकी तीन मछुआरे अब भी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. गांववालों और परिजनों की सरकार से यही अपील है कि उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षित भारत वापस लाया जाए, ताकि और किसी परिवार को ऐसा दुख न सहना पड़े. यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में कार्यरत नागरिकों की सुरक्षा और विदेश में बंद भारतीयों के मानवाधिकार की रक्षा पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए.