Pakistan vs England Test: इंग्लैंड के खिलाफ 3 टेस्ट मैचों की सीरीज में पाकिस्तान की शुरुआत शर्मनाक रही है. मुल्तान में खेले गए पहले मुकाबले में उसे पारी और 37 रनों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. सीरीज का दूसरा मुकाबला इसी मैदान पर 15 अक्टूबर से खेला जाएगा. शान मसूद की कप्तानी वाली टीम की नजर दूसरे मैच को जीतकर सीरीज को 1-1 से बराबर करने पर है. उससे पहले पाकिस्तान के दिग्गज फास्ट बॉलर शोएब अख्तर ने टीम के प्रदर्शन को लेकर निराशा जाहिर की है. लगातार हार के बाद इस पूर्व खिलाड़ी का दर्द छलक गया है.
पाकिस्तान क्रिकेट में गिरावट
पीटीवी स्पोर्ट्स पर अख्तर ने खिलाड़ियों और मैनेजमेंट की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट एक दशक से अधिक समय से गिरावट पर है. उन्होंने मौजूदा टीम की क्वालिटी पर सवाल उठाए. पाकिस्तान की टीम लगातार आलोचनाओं में घिरी रही है. उसके कप्तान भी आए दिन बदल रहे हैं. हाल ही में बाबर आजम ने वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ दी है. शान मसूद की कप्तानी में पाकिस्तान लगातार 6 टेस्ट मैच हार चुका है. अब तक एक भी मुकाबला ड्रॉ भी नहीं हुआ है.
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शोएब अख्तर ने क्या कहा?
अख्तर ने कहा, ”जो बोओगे वो ही काटोगे. दशकों से मैंने गिरावट देखी है. स्थिति निराशाजनक है. हारना ठीक है, लेकिन खेल करीब होना चाहिए. हालांकि, पिछले दो दिनों में हमने जो देखा, उन्होंने पूरी तरह से आशा छोड़ दी. इससे पता चलता है कि हम काफी अच्छे नहीं हैं. इंग्लैंड ने 800+ रन बनाए और बांग्लादेश ने भी आपको हराया.”
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अख्तर ने टेस्ट दर्जे पर उठाया सवाल
अख्तर ने पाकिस्तान के टेस्ट दर्जे और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) में उनके स्थान के बारे में चिंता व्यक्त की. उन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अध्यक्ष मोहसिन नकवी से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया. अख्तर ने कहा, ”फैंस कह रहे हैं कि पाकिस्तान को डब्ल्यूटीसी से हट जाना चाहिए. आईसीसी को सोचना चाहिए कि क्या उन्हें पाकिस्तान में टीमें भेजनी चाहिए और उनके टेस्ट दर्जे को बनाए रखना चाहिए? यह सिर्फ निराशाजनक है. इससे पाकिस्तान क्रिकेट, प्रशंसकों और आगामी प्रतिभाओं को नुकसान पहुंचेगा. मैं पीसीबी से इस गड़बड़ी को सुलझाने का अनुरोध करना चाहता हूं.”
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कप्तानी को लेकर गुटबाजी
शोएब ने टीम के भीतर मुद्दों पर भी चर्चा की. उन्होंने कप्तानी के लिए लगातार गुटबाजी और टीम की एकता की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा, ”यदि आपका मैनेजमेंट और कप्तान कमजोर है, तो ग्रुप बनेंगे. अगर कप्तान स्वार्थी है, तो ग्रुपबाजी होगी. अगर कोच कप्तान से डरते हैं तो ऐसा ही होगा. कप्तान ही चयन का फैसला करता है. मेरे खेलने के दिनों से यही संस्कृति रही है.”