Padma Shri Award honored Dr. Neerja Bhatla huge contribution in the fight against cervical cancer | वो डॉक्टर, जिसने करोड़ों महिलाओं को दिया जीवनदान! डॉ. नीरजा भटला को मिलेगा पद्मश्री अवॉर्ड

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Padma Shri Award honored Dr. Neerja Bhatla huge contribution in the fight against cervical cancer | वो डॉक्टर, जिसने करोड़ों महिलाओं को दिया जीवनदान! डॉ. नीरजा भटला को मिलेगा पद्मश्री अवॉर्ड



Padma Shri Award 2025: सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और इलाज में अपना जीवन समर्पित करने वाली एम्स की पूर्व प्रोफेसर और प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीरजा भटला (Neerja Bhatla) को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान उन्हें भारत में सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन पर किए गए उनके शोध और योगदान के लिए दिया गया है.
दिल्ली एम्स के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की पूर्व प्रमुख डॉक्टर नीरजा भटला लंबे समय से सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने के प्रयास में जुटी हैं. उन्होंने कम संसाधनों वाले क्षेत्रों में स्क्रीनिंग, एचपीवी परीक्षण और किफायती वैक्सीन के विकास पर कई रिसर्च प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया है. डॉक्टर भटला का मानना है कि स्वदेशी वैक्सीन के आने से इस बीमारी को राष्ट्रीय स्तर पर कंट्रोल किया जा सकेगा.
सर्वाइकल कैंसर के कारण और रोकथामसर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण मानव पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) होता है, जो महिलाओं के निजी अंगों में संक्रमण करता है. एचपीवी के 16 और 18 प्रकार इस बीमारी के सबसे बड़े कारण बनते हैं. डॉक्टर भटला का कहना है कि 35 और 45 वर्ष की आयु में एचपीवी टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है, जिससे समय रहते बीमारी की पहचान हो सके. विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में संक्रमण पाए जाने पर अधिक वैक्सीन देने का सुझाव निजी अस्पतालों द्वारा किया जाता है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दो वैक्सीन 50 से 80 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त हैं.
FIGO ऐप और अन्य योगदानडॉक्टर नीरजा भटला ने अंतर्राष्ट्रीय स्त्री रोग और प्रसूति संघ (FIGO) के अध्यक्ष के रूप में FIGO स्त्री रोग कैंसर प्रबंधन ऐप विकसित किया. यह ऐप डॉक्टरों और मरीजों के लिए सर्वाइकल कैंसर के प्रबंधन में उपयोगी साबित हो रहा है. डॉक्टर भटला के नेतृत्व में तैयार हो रही स्वदेशी वैक्सीन का ट्रायल अपने अंतिम चरण में है. इसके सफल होने पर 9 से 14 साल की बच्चियों को राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत यह वैक्सीन दी जाएगी, जिससे कैंसर के मामलों में कमी आएगी.



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