Opinion: शिक्षा के बाद अब स्वास्थ्य सुविधाओं का हब बन रहा वाराणसी, कैंसर संस्थान के बाद अब शंकर नेत्रालय की सौगात

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Opinion: शिक्षा के बाद अब स्वास्थ्य सुविधाओं का हब बन रहा वाराणसी, कैंसर संस्थान के बाद अब शंकर नेत्रालय की सौगात



बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को अब न लखनऊ, न दिल्ली, न तो मुंबई जाने की जरूरत है. चाहे पेट की कोई बीमारी हो या दिल का कोई मर्ज, कैंसर जैसी घातक बीमारी हो फिर आंखों से जुड़ी कोई गंभीर परेशानी, हर तरह की बीमारियों का सटीक इलाज अब बनारस में मौजूद है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय शहर वाराणसी पूर्वांचल के लिए मेडिकल कैपिटल के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है. कैंसर संस्थान के बाद वाराणसी को पूर्वांचल के सबसे बड़े आई हॉस्पिटल की सौगात मिली है. देश के मशहूर शंकर नेत्रालय का बड़ा सेंटर वाराणसी में खुलने जा रहा है. इसी महीने शंकर नेत्रालय के लिए भूमिपूजन और शिलान्यास हो चुका है. ढाई एकड़ जमीन पर बनने वाले इस अस्पताल को एक साल के अंदर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. दक्षिण भारत का श्रीकांची कामकोटि ट्रस्ट शंकर नेत्रालय का प्रबंधन करता है.

वाराणसी में शंकर नेत्रालय खुलने से उत्तर प्रदेश के बड़े पूर्वांचल के साथ पड़ोसी राज्य बिहार की बड़ी आबादी को सीधा फायदा होगा. हाईटेक सुविधाओं से लैस इस अस्पताल में ओपीडी से लेकर भर्ती और ऑपरेशन तक की सुविधाएं मिलेंगी. शुरूआत में अस्पताल में एक साथ 250 मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था बनाई जाएगी, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है. 80 प्रतिशत मरीजों का इलाज मुफ्त होगा और 20 फीसदी लोगों से ही जो भुगतान करने में समर्थ होंगे, उनसे ओपीडी और दूसरे खर्च के पैसे लिए जाएंगे.

बहुत सारे जिलों से बनारस आते हैं मरीजदरअसल, वाराणसी कहने को एक शहर भर है लेकिन इसके इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं पर दो राज्यों – उत्तर प्रदेश और बिहार की बड़ी आबादी निर्भर करती है. उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल में आने वाले करीब देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, बलिया, गाज़ीपुर मिर्जापुर जिलों के लोगों की बड़ी स्वास्थ्य जरूरतें वाराणसी में पूरी होती हैं. इसी तरह बिहार में छपरा, सीवान, गोपालगंज, बक्सर, सासाराम, औरंगाबाद, कैमूर जैसे जिले के लोगों को भी छोटी-बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए वाराणसी ही आना पड़ता है, लिहाजा वाराणसी की स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा का लाभ इन्हें भी मिलेगा. इसके अलावा भी दूर-दराज के इलाकों से लोग इलाज के लिए वाराणसी आते हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई मौकों पर कह चुके हैं – “वाराणसी को न सिर्फ पूर्वांचल का बल्कि पूर्वी भारत का मेडिकल हब बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, पूर्वांचल में मेडिकल हब बनने से आस-पास के जिलों को भी लाभ मिलेगा, साथ ही पड़ोसी राज्यों को भी.”

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वाराणसी में स्वास्थ्य सुविधाएं पहले भी रही हैं, लेकिन केंद्र में मोदी सरकार और यूपी में योगी सरकार के कार्यकाल में इन सुविधाओं को और मजबूत बनाया गया है. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के सर सुंदरलाल अस्पताल को AIIMS का दर्जा मिल चुका है. ट्रॉमा सेंटर, डेंटल अस्पताल भी हैं. टाटा का होमी भाभा कैंसर अस्पताल भी है, जहां इसी साल बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा भी शुरू की गई है. जो पूरे पूर्वांचल के लिए बड़ी सौगात साबित हो रही है. पहले कैंसर अस्पताल से हर साल औसतन 25 मरीजों को एलोजेनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए मुंबई के टाटा कैंसर अस्पताल भेजना पड़ता था.हमेशा से ज्ञान का केंद्र रहा है काशी

ये तो बात हुई स्वास्थ्य सेवाओं के हब की. देश की सांस्कृतिक और सनातन सभ्यता की राजधानी की पहचान रखने वाली काशी सदियों से शिक्षा का केंद्र मानी जाती रही है. आधुनिक युग में भी वाराणसी की पहचान उच्च शिक्षा और तकनीकि शिक्षा के बड़े केंद्र के तौर पर रही है. 4 बड़े विश्वविद्यालय वाली वाराणसी में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हायर तिब्तियन स्टडीज और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इसका सबसे बड़े उदारहण हैं. जहां आधुनिक विषयों के साथ-साथ सनातन सभ्यता और संस्कृति से जुड़े विषयों की भी शिक्षा दी जाती है. बीएचयू आईटी जिसे अब आईआईटी का दर्जा मिल चुका है, इसी तरह बीएचयू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंस को एम्स (AIIMS) के तौर पर विसकित किया जा चुका है.

( डिसक्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.)ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: BHU, Health FacilitiesFIRST PUBLISHED : December 15, 2022, 18:14 IST



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