हाइलाइट्सलता मंगेशकर की स्मृतियां भी आज से अयोध्या के आंगन में रचने-बसने जा रही हैंप्रधानमंत्री मोदी कितने भी व्यस्त क्यों ना रहे हों, 28 सितंबर की तारीख वो कभी नहीं भूलते थेलता दीदी ने इच्छा जताई थी कि मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंलखनऊ. ‘‘राम नाम में जादू ऐसा, राम नाम मन भाए, मन की अयोध्या तब तक सूनी, जब तक राम ना आए’.’ अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी सोमनाथ से राम रथ यात्रा लेकर निकले थे. प्रधानमंत्री मोदी उस वक्त रथ यात्रा के मुख्य सारथी की भूमिका में थे. इसी रथ यात्रा के लिए लता मंगेशकर ने ये रामभजन रिकॉर्ड किया था, जो आगे चलकर राम रथ यात्रा और राम मंदिर आंदोलन का सिग्नेचर ट्यून बना. भगवान श्रीराम भी आए और अपनी मधुर आवाज में उन्हें पुकारने वाली स्वर कोकिला लता मंगेशकर की स्मृतियां भी आज से अयोध्या के आंगन में रचने-बसने जा रही हैं. दोनों का श्रेय जाता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को, क्योंकि दोनों से प्रधानमंत्री मोदी का अगाढ़ श्रद्धा वाला रिश्ता रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी लता मंगेशकर के प्रशंसक होने के साथ-साथ उनसे इतने आत्मीय रिश्ते में बंधे थे कि उन्हें दीदी कहकर संबोधित करते थे. लता दीदी भी उनका बेहद सम्मान करती थीं और छोटा भाई मानती थीं. खुद दोनों ने कई मौकों पर अपने इस आत्मीय रिश्ते का जिक्र किया है. प्रधानमंत्री मोदी कितने भी व्यस्त क्यों ना रहे हों, 28 सितंबर की तारीख वो कभी नहीं भूलते थे. किसी भी बैठक में हों, किसी भी राजनीतिक रैलियों में रहे हों, यहां तक कि विदेश यात्राओं के दौरान भी इस तारीख को वो अपनी लता दीदी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देना नहीं भूलते थे.
कभी नहीं भूले जन्मदिन विश करना
2019 में लता दीदी के जन्मदिन के दिन प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका यात्रा के दौरान फ्लाइट में रहने वाले थे, लिहाजा उन्होंने दीदी को शुभकामनाएं देने के लिए यात्रा शुरु करने से पहले ही फोन किया था. 29 सितंबर 2019 को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उन्होंने ना सिर्फ इसका जिक्र किया बल्कि लता दीदी से बातचीत का हिस्सा भी साझा किया था. दोनों की बातचीत में आत्मीयता, स्नेह और अधिकार का ऐसा मिश्रण दिखता था, जो पारिवारिक रिश्ते से कहीं बढ़कर हैं. 2019 की इसी बातचीत में लता दीदी ने प्रधानमंत्री मोदी की मां हीरा बा से अपने जन्मदिन पर आशीर्वाद की कहानी बताई थी. लता दीदी ने बताया था “मैं देख रही हूं, मैं जानती हूं, आप कितने बिजी होते हैं, आपको कितना काम होता है, क्या-क्या सोचना पड़ता है. जब आप जाकर अपनी माता जी का पांव छूकर आए, तब मैंने भी किसी को भेजा था उनके पास और उनका आशीर्वाद लिया और टेलीफोन पर उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया, मुझे बहुत अच्छा लगा.”
मोदी से लिया था प्रधानमंत्री बनने का वादा
प्रधानमंत्री मोदी और लता दीदी का रिश्ता औपचारिकताओं तक सीमित नहीं था. प्रधानमंत्री ने इसी बातचीत में ये जानकारी साझा की थी कि वो जब भी लता दीदी से मिलते थे, दीदी उनके लिए कुछ ना कुछ गुजराती पकवान ही तैयार करवाती थीं और अगली बार मिलने पर भी उन्होंने गुजराती व्यंजनों की ही इच्छा जताई थी. प्रधानमंत्री मोदी और लता दीदी, दोनों के जन्मदिन में सिर्फ 11 दिन का अंतर है. दोनों एक दूसरे को जन्मदिन की शुभकामनाएं देना कभी नहीं भूलते थे. लता दीदी नियमित तौर पर हर साल प्रधानमंत्री मोदी को राखी और उसके साथ अपनी शुभकामनाएं भेजा करती थीं. लेकिन वर्ष 2020 में जब देश कोविड महामारी से जूझ रहा था, लता दीदी प्रधानमंत्री मोदी को राखी तो नहीं भेज पायीं लेकिन अपनी शुभकामनाएं उन्होंने जरूर साझा कीं. ट्वीटर पर उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ अलग-अलग मौकों पर ली गईं अपनी तस्वीरें एक ऑडियो शुभकामना संदेश के साथ पोस्ट किया. ऐसा ही एक रक्षाबंधन के मौके पर उन्होंने मोदी जी से इसका वादा लिया था कि वो एक दिन देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और भारत को नई बुलंदियों तक पहुंचाएंगे.
ऐसा ही एक वाकया नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले का है. बात सितंबर 2013 की है, लता मंगेशकर ने अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर की याद में सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल बनवाया था. उद्घाटन के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भेजा था. इसी कार्यक्रम में लता दीदी ने इच्छा जताई थी कि मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें. उन्होंने कहा था कि मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि हम नरेंद्र भाई को प्रधानमंत्री के रूप में देखें.
लता दीदी और पीएम मोदी का रिश्ता दशकों पुराना
लता दीदी और पीएम मोदी का रिश्ता दशकों पुराना रहा है, लेकिन दोनों के बीच कभी कोई औपचारिकता आड़े नहीं आई. दोनों में अक्सर फोन पर बातचीत होती थी, चिट्ठियों का आदान-प्रदान होता था. लता मंगेशकर पीएम मोदी के लिए हमेशा लता दीदी रहीं और लता दीदी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा छोटे भाई नरेंद्र भाई रहे. इस साल लता दीदी के निधन के बाद अपनी व्यस्तताओं के बीच भी प्रधानमंत्री मोदी उनके अंतिम दर्शन के लिए मुंबई गए और अपनी प्रिय दीदी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी. इसी साल, 24 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री मोदी को मुंबई में पहले लता दीनानाथ मंगेशकर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, तब भी अपनी लता दीदी को याद करते हुए पीएम मोदी खुद को भावुक होने से नहीं रोक पाए. उन्होंने कहा कि दशकों बाद पहली बार ऐसा होगा कि राखी पर लता दीदी नहीं होंगी, उनकी राखी नहीं आएगी। कहते हैं, रक्त के रिश्ते से कहीं ज्यादा बड़ा होता है रिश्ता भरोसे का, स्नेह का और आत्मीयता का. प्रधानमंत्री मोदी और लता दीदी का रिश्ता भी कुछ इसी तरह का रहा है.
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