Champions Trophy in Pakistan: पाकिस्तान ने 29 साल किसी आईसीसी टूर्नामेंट की मेजबानी की. वह 19 फरवरी से 9 मार्च आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी का मेजबान था. हालांकि, इसके 5 मैच दुबई में खेले गए. भारतीय क्रिकेट टीम सुरक्षा चिंताओं के कारण पाकिस्तान नहीं गई. ऐसे में सेमीफाइनल और फाइनल सहित उसके पांचों मैच दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में हुए. टीम इंडिया न्यूजीलैंड को हराकर चैंपियन बनी. वहीं, मेजबान पाकिस्तान का प्रदर्शन शर्मनाक रहा. टीम ग्रुप राउंड में ही बाहर हो गई और उसे एक भी जीत नहीं मिली.
नाकामी का उदाहरण बना चैंपियंस ट्रॉफी
पाकिस्तान को पहले मुकाबले में न्यूजीलैंड और दूसरे मैच में भारत ने हराया. बांग्लादेश के खिलाफ ग्रुप का आखिरी मैच रावलपिंडी में बारिश के कारण धुल गया. उसने इस टू्र्नामेंट के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए थे, लेकिन टीम के शर्मनाक प्रदर्शन सबको निराश कर दिया. चैंपियंस ट्रॉफी पाकिस्तान के लिए अरबों रुपये की बर्बादी साबित हुई. यह वित्तीय और लॉजिस्टिक नाकामी का उदाहरण बन गया. लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने एकमात्र घरेलू मैच के लिए पीसीबी ने करीब 100 मिलियन डॉलर खर्च कर दिया.
पाकिस्तान को कितना नुकसान?
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अकेले स्टेडियम को ठीक करने पर 18 बिलियन पीकेआर (लगभग 58 मिलियन डॉलर, करीब 505 करोड़ रुपये) खर्च किए. यह बजट से 50 प्रतिशत अधिक है. इसमें आयोजन की तैयारियों के लिए अतिरिक्त 40 मिलियन डॉलर (करीब 347 करोड़ रुपये) जोड़े गए. इसके बदले में पाकिस्तान को क्या मिला? पीसीबी को इसके बदले में क्या मिला? उसे 6 मिलियन डॉलर (करीब 52 करोड़ रुपये) की मेजबानी शुल्क के अलावा टिकट बिक्री और स्पॉन्सरशिप में से कुछ हिस्से मिले. टिकट बिक्री और प्रायोजन से कुछ बदलाव. रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान क्रिकेट को 85 मिलियन डॉलर (करीब 739 करोड़ रुपये) से अधिक का नुकसान हुआ.
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एक मैच के लिए खर्च किए 869 करोड़ रुपये
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी टीम ने घरेलू मैदान पर एक मैच खेला. एक मैच रावलपिंडी में बारिश से धुल गया. वहीं, एक मुकाबला दुबई में भारत से हुआ. ऐसे में पाकिस्तान ने एक घरेलू मैच के लिए 100 मिलियन डॉलर (869 करोड़ रुपये) खर्च किए. पाकिस्तान में निर्धारित दस मैचों में से पांच या तो नहीं हुए या रद्द कर दिए गए. अब पाकिस्तान को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? अधिकारिकों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं और खिलाड़ियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है. नेशनल टी20 चैंपियनशिप में मैच फीस में 90 प्रतिशत की कटौती हुई है. हालांकि, बाद में इसमें कुछ बदलाव किया गया, लेकिन इसे वापस नहीं लिया गया.
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युवाओं को हो रहा नुकसान
पांच सितारा होटलों में रहने वाले युवा क्रिकेटर अब बजट होटल में रहते हैं, जबकि बोर्ड के अधिकारी बिना किसी रुकावट के अपना शानदार जीवन जारी रखते हैं. पीसीबी के बेशकीमती मेंटर्स – मिस्बाह उल हक, वकार यूनिस, शोएब मलिक, सरफराज अहमद और सकलैन मुश्ताक – कथित तौर पर प्रति माह 5 मिलियन पीकेआर (50 लाख रुपये) कमाते हैं.