One cup of tea means 25000 microplastic particles which can cause cancer says latest study | सुकून की चाय या कैंसर का न्योता? हर कप में छुपा है 25000 छोटे प्लास्टिक कणों का जाल

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One cup of tea means 25000 microplastic particles which can cause cancer says latest study | सुकून की चाय या कैंसर का न्योता? हर कप में छुपा है 25000 छोटे प्लास्टिक कणों का जाल



सुबह की चाय हो या ऑफिस ब्रेक की एक प्याली, चाय हमारे दिन का अहम हिस्सा बन चुकी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी वही सुकूनभरी चाय अब बीमारी का न्योता बनती जा रही है? दिल्ली कैंसर संस्थान के हालिया जागरूकता अभियान ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है कि डिस्पोजेबल पेपर कप में परोसी गई चाय के साथ आप अनजाने में अपने शरीर में 25 हजार माइक्रो (छोटे) प्लास्टिक कण भी निगल रहे हैं. यह जानकारी सुनकर चाय प्रेमियों के होश उड़ना लाजिमी है.
दरअसल, डिस्पोजेबल पेपर कप की भीतरी सतह पर 80 से 90 माइक्रॉन मोटी प्लास्टिक की कोटिंग होती है. जैसे ही गर्म चाय इस कोटिंग के संपर्क में आती है, हाइड्रोफोबिक फिल्म टूटने लगती है और महज 15 मिनट के भीतर करीब 25 हजार माइक्रोप्लास्टिक कण चाय में घुल जाते हैं. हिन्दुस्तान अखबार में छपी एक खबर के अनुसार, दिल्ली कैंसर संस्थान के क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. प्रज्ञा शुक्ला ने बताया कि आईआईटी खड़गपुर के एक अध्ययन के अनुसार, दिन में तीन कप चाय पीने वाले व्यक्ति के शरीर में सालाना लगभग 75,000 माइक्रोप्लास्टिक कण प्रवेश कर सकते हैं.
पाचन तंत्र को नुकसानयह प्लास्टिक कण न सिर्फ पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी कमजोर बना सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक के शरीर में जमाव से डायबिटीज, बांझपन, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स, थायरॉइड और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. प्रोफेसर रीमा दादा ने आगाह किया कि प्लास्टिक कणों का ज्यादा सेवन सेहत के लिए बेहद खतरनाक है और इससे शरीर में लॉन्ग टर्म डैमेज हो सकती है.
क्या है समाधान?अगर आप भी डिस्पोजेबल पेपर कप में चाय पीने के आदी हैं, तो अब सतर्क हो जाने का वक्त आ गया है. विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि डिस्पोजेबल कप की जगह स्टील, कांच या मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करें. बोतल बंद पानी की जगह घर का पानी पिएं. डॉ. रीमा कहती हैं कि जागरूकता और सही विकल्प चुनकर हम माइक्रोप्लास्टिक के खतरे को कम कर सकते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 



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