ओम जाप को अक्सर हिंदू धर्म और आध्यात्मिकता से जोड़ा जाता है, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक प्रमाण भी मौजूद हैं. न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर श्वेता अड़ातिया ने अपने हालिया शोध में ओम के जाप का दिल और दिमाग पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया. उन्होंने अपने इस प्रयोग में यह साबित किया कि ओम की ध्वनि एक यूनिवर्सल फ्रीक्वेंसी है, जो न केवल मानसिक शांति प्रदान करती है बल्कि दिल की धड़कनों (हार्ट रेट) को भी कंट्रोल कर सकती है.
ब्रेन साइंस में गहरी रुचि रखने वाली डॉ. श्वेता हमेशा से प्राणायाम और मंत्रों के जाप से तनाव कम करने और दिमाग को शांति देने के तरीकों पर काम कर रही हैं. उन्होंने इस प्रयोग के दौरान अपनी हार्ट रेट वैरिएबिलिटी (HRV) को मापा और पाया कि ओम जाप करने से उनकी दिल की धड़कन 90 से घटकर 60-65 तक आ गई.
प्रयोग को अधिक सटीकता से जांचने के लिए उन्होंने अपनी उंगली में पल्स ऑक्सीमीटर लगाया और अपनी शुरुआती हार्टबीट 83 नोट की. इसके बाद उन्होंने ओम का दो अलग-अलग तरीकों से उच्चारण किया.
ओम जाप के दो तरीके और उनके प्रभाव* पहला तरीका: उन्होंने “ओ” को अधिक देर तक खींचकर जाप किया. इससे उनकी हार्टबीट घटकर 73 हो गई.* दूसरा तरीका: उन्होंने “म” ध्वनि को अधिक देर तक खींचा. इससे उनकी हार्टबीट और कम होकर 69 तक आ गई.
सुबह और रात में कैसे करें ओम जाप?डॉ. श्वेता ने बताया कि सुबह उठकर ओम का जाप करते समय ‘ओ’ को लंबा खींचना चाहिए, क्योंकि यह दिमाग को एक्टिवेट करने और एनर्जी बढ़ाने में मदद करता है. वहीं, रात को सोने से पहले ‘म’ का उच्चारण देर तक करना चाहिए, जिससे दिमाग शांत होता है और गहरी नींद आने में मदद मिलती है.
हार्ट हेल्थ के लिए क्यों जरूरी है ओम जाप?एक स्थिर हार्ट रेट न केवल दिल को हेल्दी रखती है बल्कि तनाव, चिंता और दिल की बीमारी के खतरे को भी कम करती है. अगर हार्टबीट लगातार ज्यादा बनी रहती है, तो इसका मतलब है कि दिल पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है, जो आगे चलकर दिमागी की बीमारी का कारण बन सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.