पीयूष शर्मा/मुरादाबाद: मुरादाबाद मंडल की चीनी मिलें इस बार एथेनॉल नहीं बना रही हैं. इससे ऑयल कंपनियों को इस बार एथेनॉल नहीं मिलेगा. मुरादाबाद मंडल में पिछले साल 2191 लाख लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया गया था. बी हैवी मोलाइसिस और डायरेक्ट सिरप से एथेनॉल बनाने पर रोक है. केंद्र सरकार के कुछ महीने पहले दिए गए निर्देश के बाद चीनी उत्पादन पर ही फोकस किया जा रहा है. बाजार में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता की मंशा से बी हैवी शीरा के स्थान पर चीनी बनाने पर फोकस है.
बता दें कि मुरादाबाद मंडल में 23 चीनी मिले हैं. रामपुर छोड़ कर तकरीबन सभी जिलों में एथेनॉल बना कर ऑयल कंपनियों को दिया जाता रहा है. पिछले साल रामपुर के अलावा सभी जिलों ने कुल मिलाकर 2191 लाख लीटर एथेनॉल का उत्पादन कर ऑयल कंपनियों को दिया था. इस बार गन्ने का कम उत्पादन होने की आशंका से इस पर अघोषित रोक है. मुरादाबाद मंडल में सबसे ज्यादा एथेनॉल का निर्माण संभल जनपद में होता है. अमरोहा का दूसरा स्थान है तो मुरादाबाद तीसरे स्थान पर रहा है. बिजनौर चौथे स्थान पर पिछली बार रहा था. इस बार कोई चीनी मिल बी हैवी मोलाइसिस नहीं बना रहा है. मुरादाबाद मंडल में गन्ने के जूस से सीधे एथेनॉल यहां बनता नहीं है. सी हैवी मोलाइसिस पर रोक नहीं है.इसे कुछ मिले बना रही हैं.
इस बार गन्ने का उत्पादन कम
जानकार मानते हैं कि इस बार गन्ने में रेड डॉट और रेड रॉट रोग के चलते उत्पादन काफी प्रभावित हो रहा है. माना जा रहा है कि अगर एथेनॉल बनने लगा तो चीनी उत्पादन पर असर पड़ेगा. इसी वजह से चीनी मिले बी हैवी मोलेसिस नहीं बना रही है. उप गन्ना आयुक्त सरदार हरपाल सिंह कहते हैं कि रोग की वजह से गन्ने का उत्पादन कम है. इसके चलते मंडल की चीनी मिलों में बी हैवी मोलाइसिस नहीं बनाया जा रहा है. चीनी उत्पादन मेंटेन करने पर चीनी मिलों ने फोकस किया है.
.Tags: Local18, Moradabad NewsFIRST PUBLISHED : February 2, 2024, 15:03 IST
Source link