मोटापा शरीर को बेडौल बनाता है और इससे कई बीमारियां भी शरीर को जकड़ लेती हैं. मोटापा अब हर्निया का सबसे बड़ा खतरा बन गया है. अभी तक मोटापे से हर्निया का ग्राफ नाममात्र ही रहा, पर 10 सालों में मोटापे से हर्निया होने की रफ्तार में 9 गुना तक का इजाफा हुआ है. हर्निया होने के तमाम सारे मिथक भी टूट गए हैं. हर्निया होने के नए कारण भी मेडिकल साइंस में रिपोर्ट हुए हैं.
इसका खुलासा कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग की क्रॉस सेक्शनल स्टडी में किया गया है. स्टडी के परिणामों ने डॉक्टरों तक को चौंका दिया है, क्योंकि 3 सालों में पाया गया कि हर्निया में अब बिगड़े केस रिपोर्ट हो रहे हैं, जिनमें दर्दनाक पीड़ा से तड़प रहे मरीज को तत्काल सर्जरी करनी पड़ रही है. सर्जरी विभाग ने तीन सालों में रिपोर्ट हुए इंसिजनल हर्निया के 150 केस का डाटा बनाया. केस हिस्ट्री और टेस्ट के आधार पर परिणाम निकाले तो डॉक्टरों को भी हैरानी हुई.स्टडी के रिजल्ट की माने तो मोटापे से हर्निया का औसत 45 पार पहुंच गया जबकि 10 साल यह 5 फीसदी से भी कम हो रहा. यह भी पाया गया कि महिलाओं में पुरुषों से कहीं ज्यादा हर्निया केस रिपोर्ट होते हैं. औसत 3:1 पाया गया है. महिलाओं में ऑपरेशन के बाद सबसे ज्यादा हर्निया की घटनाएं होती हैं. अब हर्निया बुजुर्गों में कम जवानी में ज्यादा हो रहा है. स्टडी में पाया गया हर्निया ग्रस्त महिलाओं की उम्र 31-40 तो पुरुषों की 41-50 वर्ष रही.
हर्निया का बदल रहा ट्रेंडजीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. जीडी यादव ने बताया कि हर्निया का ट्रेंड बदल रहा है. मोटापा सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर सामने आ रहा है, क्योंकि इसी से मांसपेशियों की टोन खराब होने लगती है. इसलिए मोटापे को कंट्रोल जरूरी है. स्टडी को हाल ही में इंडियन जर्नल ऑफ अप्लाइड रिसर्च में जगह भी मिला है.
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