Noise pollution humans life span decreases due to car train and flight risk of depression is also increased | कार, ट्रेन और हवाई जहाजों के कारण कम हो रही इंसानों की उम्र, तनाव व डिप्रेशन का भी बढ़ा खतरा

admin

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जैसे-जैसे हम अपनी सुविधाओं में बढ़ोतरी करते जा रहे हैं, वैसे-वैसे हमारे ऊपर इनका निगेटिव प्रभाव भी दिखाई पड़ रहा है. एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कार, ट्रेन और हवाई जहाजों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से हमारी उम्र कम हो रही है. हालांकि ध्वनि प्रदूषण से हमारे स्वास्थ्य होने वाले नुकसान को लेकर वैज्ञानिक पहले भी चेतावनी दे चुके हैं.
ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी में किए गए शोध में पता चला कि जो लोग लगातार ट्रेन, कार और हवाई जहाजों के शोर का सामना करते हैं, उनके अंदर नींद में कमी, तनाव, डिप्रेशन आदि परेशानियां बढ़ने लगती हैं इतना ही नहीं, इन लोगों में डायबिटीज और दिल की बीमारियों का भी जोखिम बढ़ता जाता है.अध्ययन के दौरान इंग्लैंड के एक इलाके में परिवहन के साधनों से होने वाले शोर का लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव देखा गया. अध्ययनकर्ताओं ने शोर के प्रभाव को मापने के लिए दिव्यांगता समायोजन जीवन वर्ष (डीएएलवाई) का उपयोग किया इसमें पाया गया कि साल 2018 में सड़क यातायात से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की वजह से अच्छे स्वास्थ्य के एक लाख साल, ट्रेनों की आवाज की वजह से 13000 साल और हवाई जहाज के शोर से 17000 सालकम हो गए.
इतना ही नहीं शोधकर्ताओं ने कहा से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से अच्छे कि ध्वनि प्रदूषण वाले इलाकों में रहने से लोगों का स्ट्रोक, मधुमेह, अवसाद और तनाव जैसी बीमारियों का शिकार होने का जोखिम भी बढ़ जाता है.
24 घंटे में ज्यादा शोर सुनने वाले ज्यादा जल्दी बीमारअध्ययन में यह भी कहा गया कि लंदन में देश के दूसरे इलाकों के मुकाबले सड़क यातायात से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से अच्छे स्वास्थ्य पर खतरा तीन गुना बढ़ गया. शोधकर्ताओं ने कहा कि जो लोग 24 घंटे में 50 डेसीबल से ज्यादा शोर सुनते हैं, उनका स्वास्थ्य जल्दी खराब होने की आशंका रहती है. रिपोर्ट में कहा गया कि खासकर सड़क परिवहन के साधनों से होने वाला शोर हमारे स्वास्थ्य पर ज्यादा प्रभाव डालता है.
भारत में भी ध्वनि प्रदूषण से स्वास्थ्य पर प्रभावहाल ही में अर्थफाइवआर संस्था द्वारा भारत के 15 शहरों में किए गए अध्ययन में पता चला है कि यहां शांत एवं रिहायशी इलाकों में शोर का स्तर स्वीकृत 50 डेसीबल से पचास फीसदी अधिक है. यहां सड़क यातायात के अलावा शोर के अन्य कारकों से ध्वनि प्रदूषण पाया गया. अध्ययन में ध्वनि प्रदूषण का स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव बताया गया है.



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