नोएडा: यूपी का नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (NIA) ने अपने संचालन की दिशा में बढ़ रहा है. ऐसे में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) और प्रिसिजन एप्रोच पाथ इंडिकेटर (PAPI) सिस्टम का सफलतापूर्वक कैलिब्रेशन पूरा कर लिया है. यह कार्य भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के सहयोग से किया गया, जिसमें किंग एयर 360ER विमान का उपयोग हुआ. यह परीक्षण 10 अक्टूबर 2024 को शुरू हुआ और 14 अक्टूबर 2024 को सफलतापूर्वक पूरा हो गया. इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के सहयोग से अंजाम दिया गया, ताकि हवाई अड्डे पर विमान संचालन के लिए उच्चतम सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित किया जा सके.
सुरक्षा और सटीकता के नए मानक
इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) एक रेडियो नेविगेशन प्रणाली है, जो पायलटों को खराब मौसम या कम दृश्यता के बावजूद सुरक्षित लैंडिंग में मार्गदर्शन करती है. ILS प्रणाली के दो मुख्य घटक होते हैं. लोकलाइज़र और ग्लाइड पाथ एंटीना. लोकलाइज़र विमान को हवाई पट्टी की केंद्र रेखा के साथ संरेखित करता है, जिससे पायलट को क्षैतिज मार्गदर्शन मिलता है. वहीं, ग्लाइड पाथ एंटीना विमान को ऊर्ध्वाधर मार्गदर्शन प्रदान करता है, ताकि एक सुरक्षित और सुगम अवरोहण हो सके.
PAPI (प्रिसिजन एप्रोच पाथ इंडिकेटर) एक लाइटिंग सिस्टम है, जो हवाई पट्टी के किनारे स्थित होता है. यह पायलटों को उनके अवरोहण कोण के बारे में विजुअल संकेत देता है, जिससे वे अंतिम लैंडिंग के दौरान सही ऊंचाई बनाए रख सकें. यह प्रणाली पायलट को यह बताती है कि क्या विमान सही ऊंचाई पर है. यदि नहीं, तो इसे तुरंत ठीक किया जा सकता है.
ILS और PAPI दोनों सिस्टम खराब मौसम या अन्य प्रतिकूल स्थितियों में सुरक्षित और सटीक लैंडिंग सुनिश्चित करते हैं. यह न केवल विमानन सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि हवाई अड्डे की संचालन क्षमता को बढ़ाते हुए देरी को भी कम करता है.
क्षेत्रीय और वैश्विक कनेक्टिविटी को बढ़ावा
नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (IATA कोड: DXN) उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के निवासियों के लिए भारत और विश्व के प्रमुख शहरों से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने जा रहा है. हवाई अड्डे का निर्माण यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) द्वारा किया जा रहा है, जो ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी की सहायक कंपनी है. यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के साथ साझेदारी में विकसित की जा रही है, जिसकी अनुबंध अवधि 40 साल की है और यह 1 अक्टूबर 2021 से शुरू हुई थी.
हवाई अड्डे का सतत विकास और पर्यावरणीय संरक्षण
नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों पर आधारित है. इसका लक्ष्य शून्य उत्सर्जन का है, जो इसे देश के सबसे पर्यावरण-अनुकूल हवाई अड्डों में से एक बनाएगा. इस हवाई अड्डे में अत्याधुनिक तकनीकों और सुविधाओं का उपयोग किया जाएगा, ताकि यात्रियों को स्विस दक्षता और भारतीय आतिथ्य का मिश्रण अनुभव हो सके.
जानें क्षमता और विस्तार
हवाई अड्डे के पहले चरण में एक रनवे और एक टर्मिनल होगा, जिसकी प्रति वर्ष 12 मिलियन यात्रियों की सेवा क्षमता होगी. भविष्य में इस हवाई अड्डे का विस्तार किया जाएगा, ताकि यह अधिक यात्रियों और विमानों की सेवा कर सके. इस प्रकार, नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत की क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा.
संचालन के लिए तैयार
नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा तेजी से संचालन के लिए तैयार हो रहा है. ILS और PAPI सिस्टम के सफल कैलिब्रेशन के बाद, यह हवाई अड्डा जल्द ही उड़ानों के संचालन के लिए पूरी तरह सक्षम हो जाएगा. इससे न केवल यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक संपर्क भी मजबूत होंगे.
Tags: International Airport, Local18, Noida newsFIRST PUBLISHED : October 27, 2024, 14:53 IST