अभिषेक जायसवाल, वाराणसी. ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला या भीमसेनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन धर्म नगरी काशी (Kashi) में नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की पुरानी परंपरा है. इसी परंपरा के तहत बुधवार को वाराणसी के राजेन्द्र प्रसाद घाट से श्रद्धालु मिट्टी के कलश में गंगा जल लेकर शोभायात्रा के जरिए बाबा विश्वनाथ धाम पहुंचे और बाबा को जल अर्पण कर प्रचंड गर्मी से निजात के साथ जनकल्याण की प्रार्थना की.इस शोभायात्रा में भक्ति के अलग-अलग रंग में दिखें. डमरू के डम-डम के आवाज के साथ महादेव की विभिन्न झाकियां लोगों को आकर्षित करती रही. इसके अलावा शहनाई की मंगलध्वनि भी राजेंद्र प्रसाद घाट से बाबा विश्वनाथ दरबार तक गूंजी. पीले रंग के विशेष परिधान में महिला और पुरूष भक्तों की टोली हर किसी को आकर्षित करती रही. इस दौरान शिव भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था.जगह-जगह हुआ स्वागतइस शोभायात्रा में काशी के संत महन्त, पुरुष, महिला और समाज के विभिन्न वर्ग के लोग शामिल हुए. दशाश्वमेध घाट से मिट्टी के कलश में जल लेकर श्रद्धालु गोदौलिया,बांसफाटक होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य द्वार से बाबा धाम पहुंचे और उनका जलाभिषेक किया. इस दौरान रास्ते मे जगह जगह पुष्प वर्षा कर भक्तों का स्वागत किया गया.देश के समृद्धि की कामनासतुआबाबा आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी सन्तोष दास ने बताया कि ये काशी के वर्षों पुरानी परंपरा है, जिसका निर्वहन आज भी होता है. लोक शांति, देश की समृद्धि और गर्मी से निजात के लिए श्रद्धालु कलश शोभायात्रा के जरिए बाबा को जल अर्पण करते हैं..FIRST PUBLISHED : May 31, 2023, 14:25 IST
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