निर्णायक टेस्ट में इस खिलाड़ी को नहीं खिलाकर टीम इंडिया ने किया बड़ा ब्लंडर, अकेले दम पर जिता देता सीरीज| Hindi News

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IND vs ENG: जो रूट और जॉनी बेयरस्टॉ के शानदार शतकों की मदद से इंग्लैंड ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अपने सबसे बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत को पांचवें और आखिरी टेस्ट में 7 विकेट से हराकर सीरीज 2-2 से ड्रॉ करा ली. टीम इंडिया 15 साल बाद इंग्लैंड की धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने से चूक गई. भारत अगर बर्मिंघम टेस्ट मैच जीत लेता या फिर ड्रॉ भी करा लेता तो वह इस टेस्ट सीरीज को जीतकर इतिहास रच देता. साल 2007 में टीम इंडिया ने आखिरी बार इंग्लैंड की धरती पर 1-0 से टेस्ट सीरीज जीती थी.
इस खिलाड़ी को नहीं खिलाकर टीम इंडिया ने किया बड़ा ब्लंडर
इस निर्णायक टेस्ट मैच में एक खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं देकर भारतीय टीम मैनेजमेंट ने बड़ा ब्लंडर कर दिया. रविचंद्रन अश्विन जैसे मैच विनर स्पिनर को भारतीय टीम मैनेजमेंट ने इंग्लैंड के खिलाफ निर्णायक टेस्ट मैच में मौका नहीं दिया. रविचंद्रन अश्विन की जगह इस मैच में शार्दुल ठाकुर को मौका दिया गया था, जो बेहद फिसड्डी साबित हुए. इस मैच में शार्दुल ठाकुर सिर्फ 1 विकेट ही हासिल कर पाए.   अकेले दम पर जिता देता सीरीज
बर्मिंघम टेस्ट मैच के चौथे और पांचवें दिन ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन इंग्लैंड के खिलाफ कहर मचा सकते थे. टीम इंडिया को चौथे और पांचवें दिन रविचंद्रन अश्विन की कमी बहुत खली,जिससे भारत ये मैच हार गया. बर्मिंघम टेस्ट मैच में  रवींद्र जडेजा को चौथे दिन पिच पर बने रफ से अच्छा टर्न मिल रहा था. अगर दूसरे छोर पर उनके साथ रविचंद्रन अश्विन होते तो ये दोनों ही गेंदबाज मिलकर इंग्लैंड की टीम को दूसरी पारी में ढेर कर देते.  
टीम इंडिया ने खराब चयन की कीमत चुकाई
रविचंद्रन अश्विन टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े मैच विनर हैं, जो 442 टेस्ट विकेट हासिल कर चुके हैं. इंग्लैंड की दूसरी पारी में टीम इंडिया के गेंदबाज विकेट हासिल करने की कोशिश में जूझते नजर आए. जो रूट (नाबाद 142) और जॉनी बेयरस्टो (नाबाद 114) दोनों के शतकों ने इंग्लैंड को जीत तक पहुंचा दिया. इस मैच में अगर रविचंद्रन अश्विन होते तो वह चौथे दिन पिच पर मिल रहे टर्न की मदद से इन दोनों ही बल्लेबाजों को आउट कर देते. लेकिन टीम इंडिया अब इंग्लैंड के खिलाफ खराब चयन की कीमत चुका रही है.
भारत के और किसी गेंदबाज में दम नजर नहीं आया
ये बड़ा सवाल है कि रविचंद्रन अश्विन प्लेइंग इलेवन में क्यों नहीं थे, किसने यह फैसला लिया, कोच के रूप में द्रविड़ ने इंग्लैंड में बहुत खेला है और वह स्थिति को अच्छी तरह से जानते हैं कि इंग्लैंड की गर्मी के चलते विकेट पके और सूखे होते हैं और तीसरे दिन से गेंद स्पिन करने लग जाती है, जहां सीम है वहां नमी के कारण गेंद स्पिन करेगी. केवल बुमराह को देखकर लगता है कि वह चमत्कार कर सकते हैं. भारत के और किसी गेंदबाज में दम नजर नहीं आया. 
भारत के हाथ से निकल गया मैच 
इंग्लैंड ने जीत के लिए 378 रनों का लक्ष्य को पांचवें और आखिरी दिन लंच ब्रेक से पहले ही हासिल कर लिया. रूट 142 और बेयरस्टॉ 114 रन बनाकर नाबाद रहे. इस जीत के साथ ही इंग्लैंड ने पांच मैचों की सीरीज 2-2 से बराबर कर ली. पिछले साल भारतीय खेमे में कोरोना संक्रमण के मामले आने के बाद पांचवां मैच स्थगित कर दिया गया था. भारत इस मैच से पहले 2-1 से आगे था.



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