Newborn care week 2021 Benefits of mustard seed pillow for babies brmp | Newborn care week 2021: जानिए क्यों बच्चे को राई के तकिए पर सुलाना बेहद जरूरी, मिलते हैं ये खास फायदे

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Newborn care week 2021: 15 से 21 नवंबर तक नयूबोर्न केयर वीक (newborn care week) मनाया जा रहा है. इसका उद्देश्‍य है नवजात श‍िशु की सेहत के प्रत‍ि लोगों को जागरूक करना. इस खबर में हम आज राई के तकिए के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं, जो बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि नवजात श‍िशु के स‍िर को जन्‍म से उसके 6 माह के होने तक ध्‍यान देने की जरूरत है, क्‍योंक‍ि ये एक नाजुक समय होता है, इसमें स‍िर पर लगी मामूली चोट भी गंभीर समस्‍या का रूप ले सकती है. ऐसे में अगर आप बच्‍चे के स‍िर के नीचे राई का तक‍िया (Benefits of mustard seed pillow) लगाएंगे तो वो फायदेमंद होगा.
शिशु को तक‍िए की जरूरत क्‍यों होती है? (Importance of pillow for newborn)ओनली माय हेल्थ के अुसार, एक्सपर्ट्स कहते हैं कि नवजात शिशु का सिर काफी मुलायम होता है ,जिससे उसमें चोट लगने का डर रहता है. इसके साथ ही श‍िशु के स‍िर की हड्ड‍ियां लचीली होती हैं और स‍िर पर हल्‍का सा भी दबाव बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचा सकता है, इसल‍िए बच्‍चे के ल‍िए एक मुलायम तक‍िए की जरूरत पड़ती है, ताक‍ि उसके स‍िर को सपोर्ट म‍िल सके और स‍िर की शेप सही रहे. 
आखिर राई का तकिया ही क्यों?अन्य तकियों की तुलना में राई का तकिया मुलायम होता है, जो सिर के निचे एकसमान रहता है. इस तकिया को लगाने से शिशु के सिर का आकार बिगड़ने की संभावना कम हो जाती है.
किस उम्र में लगाना चाहिए राई का तकियाहेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जन्म से 8 से 9 महीने की उम्र के होने तक राई से बने तकिया का इस्तेमाल करना चाहिए. बच्चा जब घुटनों पर चलने लगे तब राई का तकिया हटा देना चाहिए.
घर पर इस तरह बनाएं राई का तकिया
सबसे पहले राई को अच्‍छी तरह से धोकर सुखा लें, ताकि उससे नमी चली जाए.
अब आप एक मीटर सूती कपड़े की जरूरत पड़ेगी.
अब मुलायम कपड़े को तकिये के खोल का आकार दें
फिर उस खोल में सरसों के दाने भरकर उसे बंद कर दें
इस तरह आपका तक‍िया तैयार है.
नवजात श‍िशु के ल‍िए राई के तकिए से मिलने वाले फायदे (Benefits of mustard seed pillow))
राई का तक‍िया लगाने से बच्‍चे का द‍िमाग तेजी से बढ़ता है, मानस‍िक स्‍वास्‍थ्‍य भी सही रहता है.
राई की तासीर गरम होती है, लिहाजा बच्‍चे को ठंड के द‍िनों में सर्दी लगने की आशंका कम रहती है. 
राई के तक‍िए से बच्‍चे के स‍िर का आकार भी नहीं ब‍िगड़ता और गर्दन में दबाव नहीं पड़ता.
राई का तक‍िया एक सही वजन में बनता है, ज‍िससे बच्‍चे के स‍िर के पीछे समान दबाव पड़ता है.
राई के तकिए पर सोने से बच्‍चे को सोने में परेशानी भी नहीं होती.
राई का तकिया बनाते वक्त रखें ये सावधानियांजब भी आप राई का तकिया तैयार करें तो ये बात याद खें कि जिस राई का इस्तेमाल किया गया है, उसमें नमी बिल्कुल न हो. इसके साथ ही आप तक‍िए में सही मात्रा में राई भरें. ताकि तक‍िया क‍िसी एक तरफ न लुढ़के और न ही उसमें किसी भी तरह का गैप हो. इसके साथ ही आपको इस बात का ख्याल रखना है कि बच्‍चे का तक‍िया बहुत ज्‍यादा टाइट न बंधा हो, क्योंकि इससे बच्‍चे की गर्दन में दर्द हो सकता है.
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.



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