सुशील सिंह/मऊ: पशुओं के लिए हरे चारे के साथ भूसा का भण्डारण करना पशुपालकों के लिए बहुत आवश्यक होता है. गेहूं की फसल की कटाई के बाद मढ़ाई का कार्य तेजी से चल रहा है. ऐसे में पशुपालक नए बने भूसे को लेकर सावधान हो जाएं अन्यथा पशु की जान भी जा सकती है.
इस संबंध में पशु चिकित्सा अधिकारी विजेंद्र सिंह ने बताया कि ताजे बने हुए भूसे में बहुत सारा केमिकल होता है. किसान फसलों की सुरक्षा के लिए उसमें ढेर सारा वीडिसाइड, पेस्टीसाइड और खाद डालते हैं, जो फसलों के पौधों से चिपका हुआ रहता है. ऐसे में यदि इन्हीं पौधों से बने भूसे को पशु खाता है, तो ये उसके लिए काफी नुकसान दायक साबित होता है. ऐसे भूसे से पशु की जान भी जा सकती है. ऐसे में पशुपालकों को चाहिए कि वो इस भूसे को खिलाने से पहले आधे घंटे के लिए उसे पानी में भिगो दें. उसके बाद भूसे को पानी से निकाल कर उस पानी को फेंक दें. इस तरह करने से भूसे में केमिकल की मात्रा कम होगी और पशुओं को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा.
आहार को धीरे-धीरे कम करना चाहिए
विजेंद्र सिंह ने बताया कि पशुओं का पाचन तंत्र कई भाग में बंटा हुआ होता है. इसलिए उनके लिए चारे का प्रबंध करते समय हमें खास सावधानी रखनी चाहिए. उन्होंने बताया कि कभी भी पशुओं को अचानक से बदल बदल कर आहार नहीं देना चाहिए. अगर पशु को कुछ अलग आहार देना है, तो उसे धीरे-धीरे देना चाहिए. न देने वाले आहार को धीरे-धीरे कम करना चाहिए. अगर हम पशुओं को चारा देते समय इन बातों का ध्यान रखते हैं, तो हमारे पशु स्वस्थ और मजबूत बने रहेंगे तथा उनसे लाभ भी खूब होगा.
.Tags: Animal husbandry, Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : April 7, 2024, 10:03 IST
Source link