नौकरी में नहीं लगा मन, गरीब बच्चों को पढ़ाने लगे ट्यूशन, अब विदेशों से आता है ‘पैसा’

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नौकरी में नहीं लगा मन, गरीब बच्चों को पढ़ाने लगे ट्यूशन, अब विदेशों से आता है 'पैसा'

कानपुर: यूं तो देश भर में कई ऐसे शिक्षक हैं जो अपने खास पढ़ाने के अंदाज से या फिर बच्चों के जीवन में ला रहे परिवर्तन की वजह से जाने जाते हैं. कानपुर के उद्देश्य भी देश भर में अब शिक्षा जगत में अपनी पहचान बन चुके हैं. उन्होंने गरीबों और उन बच्चों को जो चाइल्ड लेबर के कामों में फंसे हुए थे या फिर स्लम इलाकों में रह रहे थे यानी ऐसे बच्चे जिनके पास शिक्षा का नामोनिशान नहीं था उनके जीवन में वह शिक्षा का अमृत घोल रहे हैं.ये शिक्षक उन बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं और सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि संस्कारों की शिक्षा दी जा रही है. उन्हें अलग-अलग एक्टिविटी सिखाई जा रही हैं. उनके जीवन में परिवर्तन आ रहा है. जानिए कैसे शुरू हुआ उद्देश्य का सफर और क्या है उनके टीचर भैया बनने के पीछे की कहानी.बच्चे बुलाते हैं टीचर भैयाकानपुर के रहने वाले उद्देश्य सचान मध्यम परिवार से आते हैं. ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद वह प्राइवेट नौकरी कर रहे थे लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लग रहा था. उन्हें नौकरी में संतुष्टि नहीं मिल रही थी. एक दिन वह एक स्लम इलाके से गुजर रहे थे तो देखा वहां बच्चे इधर-उधर घूम फिर रहे थे. उनके मन में विचार आया क्यों ना इन बच्चों के जीवन को भी शिक्षा से जोड़ा जाए. इसके बाद उन्होंने एक पेड़ के नीचे कुछ बच्चों को पढ़ना शुरू किया. देखते-देखते उनके पास बड़ी संख्या में बच्चे आने लगे. उन्होंने एक किराए की बिल्डिंग में अपना स्कूल शुरू किया और आज वह अपनी खुद की बिल्डिंग में स्कूल चला रहे हैं और बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं.स्कूल में किताबें, ड्रेस, शिक्षा हर चीज बिल्कुल निशुल्क है. बच्चे उद्देश्य को टीचर भैया के नाम से बुलाते हैं. वह इन गरीब बच्चों और स्लम के बच्चों के लिए किसी भगवान से काम नहीं हैं क्योंकि वह न सिर्फ इनको शिक्षा से जोड़ रहे हैं बल्कि उनके जीवन में संस्कार भी डाले जा रहे हैं और इन्हें तरह-तरह की एक्टिविटी सिखाकर काबिल भी बनाया जा रहा है.देश विदेश से लोग कर रहे हैं मददउद्देश्य ने बताया कि उनके द्वारा जब शुरुआती दौर पर पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता था उस दौरान उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. उसके बाद लगातार लोग उनसे जुड़ते गए और देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक से लोग उनको उनके काम में मदद कर रहे हैं जिनकी बदौलत वह यह स्कूल शुरू कर पाए हैं. स्कूल का नाम उन्होंने गुरुकुलम खुशियों वाला स्कूल रखा है क्योंकि यहां पर बच्चों को खुश करना और उनके जीवन को अंधकार से उजाले की ओर लाना ही उनके जीवन का मकसद है.FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 21:00 IST

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