Narendra Modi Stadium: अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में रविवार को भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मैच है. भारत की नजरें ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में हराकर खिताब जीतने पर है. वैसे तो टीम इंडिया ने इस पूरे वर्ल्ड कप में रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी और उसके प्रदर्शन की ही बात होती रही लेकिन कई मैचों में पिचों को लेकर भी चर्चा हुई है. अब फाइनल मैच से भी पहले पिच को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. यह मैच उसी पिच पर होगा जिस पर भारत और पाकिस्तान का मैच हुआ है. ऐसे में यह तय है कि ऑस्ट्रेलिया की भी कुटाई उसी तरह हो सकती है जैसे पाकिस्तान की कुटाई हुई थी. यह अपडेट उन तमाम तरह के सवालों का जवाब है जो पिच को लेकर उठ रहे थे.
11 पिचों की बनावट 3 तरह से
दरअसल, वैसे तो नरेंद्र मोदी स्टेडियम में कुल 11 पिचें बताई जाती हैं. लेकिन अब जबकि यह तय हो गया है कि मैच उस पिच पर होगा जिस पर भारत पाकिस्तान का लीग मैच हुआ था तो ऐसे में लोग अनुमान लगाने लगे हैं. इस स्टेडियम में पिचों को तीन तरह से बनाया गया है. जिनमें काली मिट्टी से बनीं, लाल मिट्टी से बनीं और दोनों मिट्टी की मिक्स से बनी पिचें शामिल हैं. काली मिट्टी की पिचें आमतौर पर धीमी होती हैं. बताया गया कि इसी तरह की बानी पिच पर भारत और पाकिस्तान के बीच का मैच हुआ था. जिसमें पाकिस्तानी टीम को इंडिया ने बुरी तरह से पीट दिया था. अब उसी पिच पर फाइनल होगा.
भारत-पाक मैच वाली पिच की कहानीअगर उस मैच की बात करें तो पाकिस्तान टीम 191 रन पर ढेर हो गई थी. इसके बाद भारत ने जबरदस्त बैटिंग करते हुए सात विकेट से जीत दर्ज की थी. ऐसी पिच पर स्पिनर्स को भी भरपूर मदद मिल सकती है. एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि धीमी पिच की वजह से गेंद गिरने के बाद बल्लेबाजों के पास रुककर आएगा. फिलहाल भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ ने स्टेडियम में वैकल्पिक प्रशिक्षण सत्र के दौरान इस पिच का विस्तार से निरीक्षण भी किया है.
ओवरऑल कैसी है पिचअगर ओवरऑल इस स्टेडियम की पिचों की बनावट की बात करें तो असल में यह एक शानदार क्रिकेटिंग पिच वाला स्टेडियम है. आंकड़ों के मुताबिक यहां की पिचें बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों के लिए अनुकूल रही है. यहां का औसत स्कोर 260 रनों का है जबकि यहां पिछले कुछ सालों में वनडे मैचों में औसत स्कोरिंग रेट 5 रन प्रति ओवर के आसपास रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस पिच पर पहले 10 ओवरों में गेंद अच्छी उछाल दे सकती है, लेकिन बाद में पिच धीमी हो सकती है. वैसे तो बल्लेबाजों को काफी आसानी होती है लेकिन बेहतरीन गेंदबाजों को यहां से मदद मिलने की उम्मीद भी बनी रहती है.