Narak chaturdashi 2021 story yam ka deepak celebrated a day before diwali know the reason pra

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Narak chaturdashi 2021 story yam ka deepak celebrated a day before diwali know the reason pra



Narak Chaturdashi 2021 Story : नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) और दिवाली (Diwali) इस साल 4 नवम्‍बर को देशभर में मनाया जाएगा. नरक चतुर्दशी के दिन यम की पूजा की जाती है. मान्‍यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीप जलाने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है. यही वजह से है नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्य द्वार के बांई ओर अनाज की ढेरी रखकर इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाया जाता है. इसे जलाते समय यह ध्‍यान रखा जाता है कि दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर रहे. नरक चतुर्दशी मनाने के पीछे एक प्रचलित पौराणिक (Narak Chaturdashi Story) कथा है.
नरक चतुर्दशी मनाने के पीछे की ये है पौराणिक कथा
एक समय भगवान कृष्ण अपनी आठों पत्नियों के साथ द्वारिका में सुखी जीवन जी रहे थे. उसी समय प्रागज्योतिषपुर नामक राज्य का राजा एक दैत्य नरकासुर था. उसने अपनी दैत्य शक्तियों से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया था और साधुओं और औरतों पर अत्याचार करने लगा था. एक दिन स्वर्गलोक के राजा देव इंद्र कृष्ण के पास पहुंचे और बताया कि नरकासुर ने तीनों लोकों को अपने अधिकार में कर लिया है और वरुण का छत्र, अदिति के कुंडल और देवताओं की मणि छीन ली है. यही नहीं, वह सुंदर कन्याओं का हरण कर उनके साथ अत्‍याचार कर रहा है और उसके अत्याचार की वजह से देवतागण, मनुष्य और ऋषि-मुनि त्राहि-त्राहि कर रहे हैं.
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देवराज इंद्र ने कृष्ण से प्रार्थना की और उनसे रक्षा करने की मदद मांगी. भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव की प्रार्थना स्वीकार कर ली.  लेकिन नरकासुर को वरदान था कि वह किसी स्त्री के हाथों से ही मारा जाएगा. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा से सहयोग मांगा और अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर के 6 पुत्रों- ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार किया.  मुर दैत्य का वध हो जाने का समाचार पाते ही नरकासुर अपने अनेक सेनापतियों और दैत्यों की सेना के साथ भगवान कृष्ण से युद्ध के लिए चला. लेकिन नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया.
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जिस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी.  तब से इस दिन को नरकचतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है और जश्‍न में दीप जलाकर उत्सव मनाया जाता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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