हरिकांत शर्मा/आगराः सफेद संगमरमर पत्थर से बना ताजमहल अपनी खूबसूरती की वजह से पूरी दुनिया में मशहूर है. हर साल लाखों सैलानी देश विदेश के कोने-कोने से इस खूबसूरत मुहब्बत की निशानी को देखने के लिय भारत आते हैं. पहली नजर में ताज को देखते ही लोगों को इससे प्यार हो जाता है. अब सोचिये सफ़ेद संगमरमर से बने इस ताज को देखकर लोग पहली नजर में दिल दे बैठते हैं. तो अगर काले पत्थर से बना ताज महल होता, तो लोगों का क्या रिएक्शन होता.
ताज महल देखने भारत घूमने आए कुछ विदेशी यात्रियों ने अपनी किताब में शाहजहां के द्वारा यमुना नदी के उस पार काला ताज महल बनवाए जाने का जिक्र किया है. ताजमहल में पर्यटकों को घुमाने वाले स्थानीय गाइड भी काले ताज महल का दावा करते हैं.
क्या शाहजहां बनवा रहा था काला ताज महल ?
ऐसी दंत कथाएं हैं कि ताजमहल के पीछे यमुना नदी के पार वर्तमान में जहां मेहताब बाग है, वहां कभी शाहजहां के द्वारा काला ताजमहल बनाया जाना था. वहां आज भी काले पत्थर देखने को मिलते हैं. जिनको लेकर कहा जाता है कि यह काले ताजमहल के लिए बनाया गया स्ट्रेक्चर था.
शाहजहां को नजरबंद कर लियाबीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार एक ताजमहल में तो उनकी बेगम मुमताज की कब्र बनाई गई थी. लेकिन वो काले ताजमहल में खुद का मकबरा बनाना चाहते थे. लेकिन, शाहजहां का ये सपना पूरा नहीं हो सका. क्योंकि उनका अपने बेटे औरंगज़ेब के साथ टकराव शुरू हो गया था. औरंगजेब ने शाहजहां को नजरबंद कर लिया था. बता दें कि इस कहानी का जिक्र यूरोपीय लेखक जेन-बैप्टाइज टेवरनियर ने किया था. जो 1665 में आगरा गए थे. साथ ही एक कहानी में यह भी बताया जाता है कि ताजमहल के सामने काला ताजमहल उसकी परछाई या दूसरी छवि बनाने के लिए बनाया जा रहा था.
क्या कहते हैं इतिहासकार ?जब हमने काले ताज महल के होने की सच्चाई का पता लगाने के लिय इतिहासकारों से बात की तो प्रसिद्ध इतिहासकार राज किशोर शर्मा ने बताया कि इतिहास की किसी भी प्रमाणित किताब में काले ताजमहल का जिक्र नहीं मिलता. कुछ भारत घूमने आये यूरोपीय यात्रियों ने अपनी कल्पनाओं के आधार पर काले ताज महल के होने का जिक्र किया है. उनका मानना है कि इतिहास को दिलचस्प बनाने और विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए काले ताज महल के होने की एक कहानियां रची गई..
शाहजहां ने यमुना के पानी में देखी ताजमहल की परछाईताज महल की कहानी रोचक बनाने के लिए स्थानीय गाइडों ने इस कहानी को रचा कि एक रोज शाहजहां यमुना के पानी में ताजमहल को निहार रहा था, तो उसकी परछाई को देखकर उसके मन में काला ताज बनाने का ख्बाब आया. इन दावों में तनिक भी सच्चाई नही है. अगर शाहजहां को काला ताजमहल बनवाना होता तो ताजमहल सन 1652 में बनकर तैयार हो गया था. औरंगज़ेब ने उसे सन 1657 में कैद किया. इस दौरान 5 साल की अवधि थी .वो चाहता तो काले ताजमहल का काम शुरू करा सकता था. या शाहजहां एक साथ दोनों ताज महल का निर्माण करा सकता था.
1977 की बाढ़ में निकला मेहता बाग का स्ट्रक्चरजिस जगह पर काला ताज महल होने का दावा किया जाता है. वहां मेहताब बाग है, जो 1977 की बाढ़ में बाहर निकला है. ताजमहल के सामने यमुना के पार जिस स्ट्रक्चर को काला ताजमहल होने का दावा किया जाता है. वह मेहताब बाग का हिस्सा है. जो कभी यमुना के पानी में डूब गया था. अब एएसआई के अधीन है. पुरातत्वविद भी काले ताजमहल की कहानी को मिथक मानते हैं. उनका कहना है कि यह सिर्फ कल्पनाओं में है, हकीकत में नहीं.
.Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : April 3, 2024, 09:43 IST
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