‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर प्रदेश के मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षा हासिल कर रहे सभी बच्चों को परिषदीय विद्यालयों में दाखिल करने के सरकार के आदेश को वापस लेने की मांग की. बोर्ड ने प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा 8,449 मदरसों को नोटिस जारी किए जाने पर नाराजगी प्रकट की. इस नोटिस के बाद जिला प्रशासन मदरसों को उनमें पढ़ने वाले बच्चों का बेसिक शिक्षा के लिए स्कूलों में दाखिला कराने का आदेश दे रहा था.
बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने बताया कि बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर्रहमान मुजद्दिदी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के 8,449 मदरसों को नोटिस जारी किए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई, जिसके आधार पर जिला प्रशासन हर जिले के मदरसों को आदेश दे रहा है कि उनके यहां पढ़ने वाले बच्चों को बेसिक शिक्षा के लिए स्कूलों में दाखिल कराया जाए.
प्रतिनिधिमंडल ने 26 जून को तत्कालीन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा द्वारा जारी आदेश को संविधान के विपरीत बताते हुए कहा कि संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और उनका संचालन करने का अधिकार दिया है. बोर्ड का कहना है कि इसी तरह शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 से भी मदरसों और पाठशालाओं को छूट दी गई है.
बोर्ड ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा प्रदेश के मुख्य सचिव को सात जून को जारी किये गये पत्र पर भी कड़ी आपत्ति जताई. बोर्ड ने कहा कि इस आदेश से दारुल उलूम देवबंद और दारुल उलूम नदवतुल उलमा जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मदरसे भी प्रभावित हो रहे हैं. मुख्यमंत्री को बताया गया कि इन मदरसों से शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों को देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला मिलता है और इन मदरसों में पढ़ चुके छात्र अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मांग की कि वह इस आदेश को तुरंत वापस लेने का हुक्म जारी करें ताकि राज्य के मुसलमान में पैदा हुई चिंता को दूर किया जा सके.
Tags: UP news, Yogi adityanathFIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 23:19 IST