‘मुस्लिम हितों के पैरोकार…’, चंदन हत्याकांड मामले को लेकर कोर्ट की सख्‍त टिप्‍पणी

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'मुस्लिम हितों के पैरोकार...', चंदन हत्याकांड मामले को लेकर कोर्ट की सख्‍त टिप्‍पणी

लखनऊ. चंदन गुप्ता हत्याकांड पर नए अपडेट से हड़कंप मचा है. कोर्ट के फैसले को लेकर बताया जा रहा है कि इसमें कोर्ट ने दोषियों के वकील की कोर्ट में पेश एनजीओ की रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसी रिपोर्ट दबाव बनाने की कोशिश करती हैं. दरअसल, दोषियों के वकील कई एनजीओ की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट “स्वतंत्र जांच – कासगंज का सच, फर्जी पुलिस जांच ने हिंदुओं को बचाया, मुसलमान को फंसाया” पेश की थी. इस पर अभियोजन पक्ष ने कहा कि जब भी कभी देश विरोधी आतंकी या प्रतिबंधित आतंकी संगठन का सदस्य गिरफ्तार करके लाया जाता है तो मुस्लिम हितों के पैरोकार विभिन्न एनजीओ विधिक सहायता देने पहुंच जाते हैं, जो संविधान की मूल भावना के अनुरूप नहीं है.

अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में एनजीओ जमीयत उलेमा ए हिंद के लीगल सेल इंस्टीट्यूट का डाटा पेश किया. इसमें एनजीओ ने लिखा था कि उनकी पैरवी से वर्ष 2019 से अब तक कुल 400 आरोपियों को कोर्ट से बरी करवाया गया. इस पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसी रिपोर्ट न्यायपालिका पर दबाव बनाने का काम करती हैं. जब भी एनआईए कोर्ट में जम्मू-कश्मीर, बंगाल, केरल, असम और पंजाब जैसे प्रदेशों से कोई आतंकी, गोपनीय सूचनाएं देने वाला, देश के खिलाफ युद्ध, जासूसी करने का आरोपी गिरफ्तार करके लाया जाता है तो पहले से ही कुछ वकील उसे बचाने के लिए कोर्ट में मौजूद रहते हैं. इन वकीलों में अधिकतर ऐसे ही किसी एनजीओ से जुड़े होते हैं.

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बहुत ही खतरनाक और संकीर्ण सोच को बढ़ावा दे रहीकोर्ट ने कहा है कि जो आरोपी अपनी पैरवी न कर पा रहा हो,उसे सरकार से विधिक सहायता मिलनी चाहिए. लेकिन जो आरोपी एनजीओ विधिक सहायता से दोषमुक्त होता है तो उसकी निष्ठा उस एनजीओ के लिए हो जाती है और वह राज्य के खिलाफ हो जाता है. अगर वही आरोपी सरकार की मदद से दोषमुक्त होता है तो उसका विश्वास राज्य की न्यायपालिका और भारतीय संविधान में बढ़ती है. एनजीओ की ओर से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोपियों की पैरवी की करने की प्रवृत्ति न्यायपालिका के संबंध में बहुत ही खतरनाक और संकीर्ण सोच को बढ़ावा दे रही है. इसके संबंध में न्यायपालिका से जुड़े हर व्यक्ति को विचार करना चाहिए.

इनके क्या हित हो सकते हैं? इन्हें फंडिंग कहां से हो रहीकासगंज के चंदन गुप्ता हत्याकांड मामले में मुंबई के एनजीओ सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस, नई दिल्ली के एनजीओ पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, लखनऊ के रिहाई मंच के अलावा अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में काम कर रहे अलाइंस फॉर जस्टिस एंड अकाउंटेबिलिटी, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल और साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप पर कोर्ट ने सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा है कि इनके क्या हित हो सकते हैं? इन्हें फंडिंग कहां से हो रही है और इनके सामूहिक उद्देश्य क्या हैं? फैसले की एक कॉफी बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रमुख सचिव को भेजने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि इसकी जांच कर, कार्यवाही की जाए.
Tags: Kasganj news, Murder case, Muslim, NIA Court, Nia raid, Tiranga yatraFIRST PUBLISHED : January 5, 2025, 16:47 IST

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