हाइलाइट्सदंगों के बाद सरकार ने ऐसा कदम उठाया जिससे एक समुदाय विशेष का खास ख्याल रखा जा सकेतत्कालीन वीपी सिंह सरकार ने पीएसी में मुसलमान जवानों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए थे लखनऊ. जब भी दंगे होते हैं तो उसके बाद अगला दंगा न हो, इसके लिए कुछ जरूरी कदम सरकारें उठाती रही हैं. 1980 का मुरादाबाद दंगा भी इससे जुदा नहीं था. तब यूपी की कांग्रेस की सरकार ने भी जरूरी कदम उठाये थे, जिससे एक समुदाय विशेष का खास ख्याल रखा जा सके. हालांकि कांग्रेस सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम बड़ा ही अजीब था.
प्रधानमंत्री रह चुके विश्वनाथ प्रताप सिंह तब यूपी के सीएम हुआ करते थे. उन्हें पदभार संभाले महज दो ही महीने हुए थे कि मुरादाबाद में भीषण दंगा हो गया, वो भी ईद के दिन. तब विभूति नारायण राय की यूपी पुलिस में पांच साल की सर्विस हो चुकी थी. वे इलाहाबाद में एसपी सिटी के पद पर तैनात थे. वीएन राय ने बताया कि ईदगाह में नमाज के दौरान ही नमाजियों के बीच एक नापाक जानवर के घुसने की सूचना को लेकर पुलिस और पीएसी पर पथराव कर दिया गया. जवाबी कार्रवाई में पीएसी ने फायरिंग कर दी और कई लोग मारे गये. अगले दो-तीन दिनों में दंगा मुरादाबाद से निकलकर कई शहरों में पसर गया. जब हालात काबू में आये तो वीपी सिंह की सरकार ने ऐसे कदम उठाने के आदेश दिये जिससे ऐसे दंगे फिर न हों. हालांकि ये कदम बड़ा ही अजीब था.
दंगे के बाद वीपी सिंह सरकार ने दिए थे ये आदेशरिटायर्ड IPS वीएन राय याद करते हुए बताते हैं कि दंगे के बाद तत्कालीन सीएम वीपी सिंह ने ये आदेश दिया कि पीएसी की पांच अलग तरीके की बटालियन बनायी जाये. आदेश में ये कहा गया कि इस बटालियन में मुसलमानों की संख्या अन्य बटालियन के मुकाबले ज्यादा रखी जाये. पीएसी में बहुत कम मुसलमान सिपाही हुआ करते थे. फोर्स की छवि के बारे में दबी जुबान से ये कहा जाता था कि इसका रवैया मुसलमानों के प्रति काफी आक्रामक रहता है. इसी पहलू को ध्यान में रखते हुए वीपी सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने कुछ अलग फैसला लिया. मुरादाबाद के दंगे के बाद सरकार ने ये महसूस किया कि यदि पीएसी में मुस्लिम सिपाहियों की संख्या बढ़ा दी जाये तो इससे फोर्स की मानसिकता पर फर्क पड़ेगा.
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PAC में बदलवा का नहीं पड़ा कोई फर्कवीएन राय बड़ी मायूसी के साथ आगे बताते हुए कहते हैं कि इस बदलाव का भी कोई फर्क नहीं हुआ और सात साल के बाद मेरठ के हाशिमपुरा और मलियाना में बड़ा काण्ड हो गया. 1987 में हुए इन दोनों कस्बों से दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. इसका आरोप पीएसी पर ही लगा. हैरान करने वाली बात तो ये है कि हत्याकाण्ड के आरोप पीएसी की उन्हीं पांच विशेष बटालियनों में से एक पर लगा. लेकिन ऐसा कैसे हुआ. जिस पीएसी में मुस्लिम सिपाहियों की ज्यादा भर्ती के आदेश हुए थे उस बटालियन के सिपाहियों ने इसका विरोध नहीं किया? इस सवाल का जवाब भी वीएन राय ने दिया. उन्होंने कहा कि भले ही सीएम वीपी सिंह ने पीएसी में मुस्लिम सिपाहियों की संख्या ज्यादा करने के आदेश दिये थे लेकिन, इसपर अमल हुआ ही नहीं था. न तो अमल ही हुआ और ना ही किसी ने बाद में इसकी सुध ली. दो साल के बाद वीपी सिंह की सरकार चली गयी. हालांकि वीपी सिंह सरकार के इस फैसले को एक सुर में सही भी नहीं माना गया. कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउण्टर में शामिल रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय ने कहा कि जो भी वर्दी वाली फोर्स है उसमें जाति या धर्म के आधार पर नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए. ये समाज के लिए बेहतर उपाय नहीं हो सकता.
दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी योगी सरकार43 साल बाद साल 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे के बारे में फिर से चर्चा इसलिए चल पड़ी है क्योंकि सूबे की बीजेपी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सभी को बताई जायेगी कि तब क्या क्या हुआ था और कौन-कौन इसका जिम्मेदार था. दंगे की जांच के लिए बने आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जायेगा और इसे सदन के पटल पर रखा जायेगा. ये अलग मुद्दा है कि अब ऐसा क्यों हो रहा है.
.Tags: Lucknow news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : May 17, 2023, 06:39 IST
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