चंदौली. करियर फील्ड के रूप में खेलों के प्रति युवाओं का क्रेज बढ़ता जा रहा है. खेल ऐसा क्षेत्र है जो शारीरिक और मानसिक तनाव से मुक्त करने के साथ-साथ देश दुनिया में पहचान बनाने का तरीका बनकर भी उभरा है. ऐसे में अगर शुरुआत के दिनों में ही खेलों में करियर बनाने के लिए कहीं से मदद मिल जाए, तो न्यू कमर खिलाड़ियों के लिए ये सोने पर सुहागा है.
कुछ ऐसा ही काम कर रहा है मुगलसराय का रेलवे अखाड़ा, जो खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में जुटा है. इस रेलवे अखाड़े में दर्जन भर से अधिक खिलाड़ी कुश्ती का अभ्यास करते हैं. यहां से प्रशिक्षण पाकर कई खिलाड़ियों ने एयरफोर्स, नेवी और दूसरी जगहों पर नाम रोशन किया है. यहां से निकले कई पहलवान आज दूसरों को प्रशिक्षित कर रहे हैं.
पहलवानी का लोहा
रेलवे के इस अखाड़े में पहलवानी के दांव पेंच सिखा रहे अंतरराष्ट्रीय कुश्ती कोच केके सिंह लोकल 18 से कहते हैं कि इस अखाड़े से निकले अधिकतर खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में लोहा मनवा रहे हैं. इन्हें सरकार ने रेलवे में विभिन्न पदों पर नौकरी भी दी है. ये पहलवान रेलवे की तरफ से आयोजित होने वाले खेलों में भाग लेने जाते रहते हैं.
70 पहलवान सीख रहे कुश्तीकुश्ती कोच केके सिंह के अनुसार, इसी अखाड़े से निकले बक्सर जिले के चौसा निवासी अविनाश कुमार गुप्ता फिलहाल सेना के जवानों को प्रशिक्षित कर रहे हैं. इसके अलावा वे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती के आयोजन में हिस्सा भी लेते हैं. रेलवे के इस अखाड़े में फिलहाल लगभग 70 पहलवान कुश्ती के दांव पेंच सीख रहे हैं. ये अखाड़ा बनने के बाद 2005 से केके सिंह यहां युवाओं को पहलवान बनाने में जुटे हैं.
अखाड़ा बना वरदान
रेलवे के इस अखाड़े के खिलाड़ी और रेलवे में कार्यरत सदानंद यादव कहते हैं कि बचपन में गांव की कुश्ती देखकर हमारे मन में भी पहलवानी करने की इच्छा हुई. मुगलसराय रेलवे अखाड़े से प्रशिक्षण के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक हासिल किए और अब रेलवे ने अपने विभाग में खेल का हिस्सा बनाकर जो मुझे सम्मान दिया है, वो मेरे लिए गर्व की बात है. रेलवे का ये अखाड़ा नए पहलवानों के लिए वरदान है.
Tags: Chandauli News, Local18FIRST PUBLISHED : January 4, 2025, 17:24 IST