विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में मंकीपॉक्स के नए वैरिएंट के प्रकोप को लेकर ग्लोबल इमरजेंसी की घोषणा की है. यह नया वैरिएंट पिछले साल फैले मंकीपॉक्स से कहीं अधिक घातक बताया जा रहा है. अफ्रीका के कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इस साल की शुरुआत से अब तक 14 हजार से ज्यादा मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और इनमें से 524 लोगों की मौत हो चुकी है. सबसे ज्यादा खतरा 15 साल से कम उम्र के बच्चों और महिलाओं को है. यह बीमारी अब तक अफ्रीका के 13 देशों में फैल चुकी है. इनमें से कुछ देशों में पहले कभी भी मंकीपॉक्स के मामले सामने नहीं आए थे.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि अफ्रीका से बाहर और अन्य देशों में भी इसके फैलने की संभावना बहुत अधिक है. आपको बता दें कि मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, जिसकी पहचान पहली बार साल 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हुई थी. इस वायरस के दो प्रकार हैं – क्लेड I और क्लेड II.
क्लेड I और क्लेड II में अंतरक्लेड I अधिक घातक है और दशकों से मध्य अफ्रीका के कांगो बेसिन में इसका प्रकोप रहा है. वहीं, कम गंभीर क्लेड II पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में रहा है. पहले ज्यादातर मामलों में लोग संक्रमित जानवरों जैसे कृंतकों के संपर्क में आने से संक्रमित होते थे. इस बीमारी के लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द और त्वचा पर बड़े-बड़े फोड़े शामिल हैं.
क्लेड II का नया वैरिएंटमई 2022 में क्लेड II का एक नया कम घातक वैरिएंट क्लेड IIb दुनिया भर में फैल गया था, जो मुख्य रूप से समलैंगिक और बाइसेक्सुअल पुरुषों को प्रभावित करता था. जुलाई 2022 में डब्ल्यूएचओ ने इसे ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया था, जो मई 2023 तक रहा. लेकिन अब क्लेड I का एक नया म्यूटेटेड वैरिएंट क्लेड Ib सामने आया है, जो अधिक घातक है. यह पहली बार कांगो के कामितुगा शहर में सितंबर 2023 में सेक्स वर्कर्स में पाया गया था.
नए वैरिएंट चिंता का विषय क्यों?इस नए वैरिएंट की सबसे बड़ी चिंता यह है कि यह यौन संपर्क के अलावा अन्य तरीकों से भी फैल रहा है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं. क्लेड Ib के कारण लगभग 3.6 प्रतिशत मामलों में मौत हो जाती है और यह क्लेड II की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है. कांगो के लगभग सभी प्रांत अब क्लेड I या क्लेड Ib से प्रभावित हैं.
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल की पहली छमाही में मंकीपॉक्स के मामले पिछले पूरे साल की तुलना में ज्यादा रहे हैं. अफ्रीका सीडीसी के अनुसार, जनवरी 2022 से 4 अगस्त 2024 के बीच अफ्रीका में मंकीपॉक्स के 38,465 मामले सामने आए और 1,456 मौतें हुईं. हाल ही में बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा में भी इसके पहले मामले सामने आए हैं. यह नया वैरिएंट दुनिया भर में चिंता का विषय बना हुआ है और वैज्ञानिक इसके बारे में अधिक जानकारी जुटाने के लिए काम कर रहे हैं.