अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स वायरस तेजी से फैल रहा है. वैज्ञानिक पत्रिका साइंस ने इस पर गंभीर चिंता जताई है. सबसे पहले कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में सामने आए इस वायरस ने अब युगांडा और केन्या तक अपनी पहुंच बना ली है. आशंका जताई जा रही है कि यह पूरा अफ्रीका महाद्वीप में फैल सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई है. संगठन जल्द ही इसे ग्लोबल हेल्दी इमरजेंसी घोषित कर सकता है. WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अदनोम Ghebreyesus ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम आपातकालीन समिति बनाने पर विचार कर रहे हैं. इसका उद्देश्य यह तय करना है कि क्या बढ़ते खतरे के बीच ग्लोबल हेल्दी इमरजेंसी घोषित करना जरूरी है.
WHO प्रमुख ने अपने पोस्ट में कहा कि अफ्रीका की बीमारी कंट्रोल और रोकथाम केंद्रों के साथ मिलकर मंकीपॉक्स के संचरण को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस वायरस को रोकने के लिए आवश्यक सभी उपायों को लागू करने के लिए फंड की कमी है. हालांकि, अफ्रीकी संघ की स्थायी प्रतिनिधि समिति ने अफ्रीका की बीमारी कंट्रोल और रोकथाम केंद्रों के लिए कोविड फंड से 10.4 मिलियन डॉलर जारी किए हैं.
मंकीपॉक्स वायरस क्या है?DRC में मंकीपॉक्स का प्रकोप पहले भी देखने को मिला है. सरकार ने साल 2022 में भी राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी. मंकीपॉक्स वायरस एक वायरल संक्रमण है जिससे त्वचा पर दाने, सिरदर्द, बुखार और अन्य लक्षण हो सकते हैं. यह एक संक्रामक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकती है. यह एक संचारी रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है. यह 2 से 4 सप्ताह तक रह सकता है. संक्रमित व्यक्ति से संपर्क से बचाव और टीकाकरण इस बीमारी से बचाव के मुख्य तरीके हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस से अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं भी हो सकती हैं, जिनमें निमोनिया, उल्टी, निगलने में कठिनाई, दृष्टिहीनता के साथ कॉर्नियल संक्रमण आदि शामिल हैं. इससे दिमाग, दिल और मलाशय में सूजन भी हो सकती है. एचआईवी और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को मंकीपॉक्स वायरस के कारण अधिक जटिलताओं का खतरा होता है. इस साल की शुरुआत से दक्षिण अफ्रीका में लगभग 14,250 मामले सामने आए हैं और 450 से अधिक मौतें हुई हैं. DRC में 96 प्रतिशत से अधिक मंकीपॉक्स के मामले हैं.