More Indians with lung damage Cases Due To COVID 19 Coronavirus Study revels | कोविड-19 के कारण भारतीयों में लंग डैमेज के मामले दूसरे देशों से ज्यादा, स्टडी में सामने आई बात

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More Indians with lung damage Cases Due To COVID 19 Coronavirus Study revels | कोविड-19 के कारण भारतीयों में लंग डैमेज के मामले दूसरे देशों से ज्यादा, स्टडी में सामने आई बात



Lung Damage Due To COVID-19: क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि कोविड से ठीक हुए भारतीयों के एक बड़े हिस्से में महीनों तक फेफड़ों के फंक्शन में कमी और लंबे समय तक लक्षण बने रहे. स्टडी में पाया गया कि यूरोपियन और चाइनीज लोगों की तुलना में भारतीयों में लंग फंक्शन को लेकर ज्यादा नुकसान हुआ है. अध्ययन में कहा गया है कि कुछ लोगों में सामान्य स्थिति में वापस आने में एक साल लग सकते हैं, जबकि अन्य को जिंदगीभर लंग डैमेज के साथ रहना पड़ सकता है. 
स्टडी से क्या पता चला?यह अध्ययन, जिसे देश में SARS-CoV-2 के लंग फंक्शन पर असर की जांच करने के लिए सबसे बड़ा बताया गया है, जिसें में 207 व्यक्तियों की स्टडी की गई. यह अध्ययन महामारी की पहली लहर के दौरान किया गया था और हाल ही में PLOS ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ था. दो महीने से अधिक समय तक ठीक होने के बाद, हल्के, मध्यम और गंभीर कोविड से पीड़ित इन रोगियों के लिए कंप्लीट लंग फंक्शन टेस्ट, छह मिनट का चलने का परीक्षण, ब्लड टेस्ट और जीवन स्तर का आकलन किया गया. 
सबसे सेंसिटिल लंग फंक्शन टेस्ट, जिसे गैस ट्रांसफर (DLCO) कहते हैं, जो हवा से सांस लेने को रक्तप्रवाह में ऑक्सीजन स्थानांतरित करने की क्षमता को मापता है, 44% में प्रभावित हुआ, जिसे CMC डॉक्टरों ने “बहुत चिंताजनक” बताया, 35% में रेस्ट्रिक्टिव लंग डिफेक्ट पाया गया, जो उनकी सांस लेने पर फेफड़ों को हवा से फुलाने की क्षमता को प्रभावित करेगा और 8.3% में रुकावट करने वाला फेफड़ों का दोष पाया गया, जो हवा को फेफड़ों में और बाहर ले जाने में आसानी पर असर डालेगा. इस स्टडी में क्वालिटी ऑफ लाइफ टेस्ट पर में भी नेगेटिव इम्पैक्ट देखा गया. 
‘भारतीय ज्यादा प्रभावित’
सीएमसी, वेल्लोर के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और इस स्टडी के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉ. डीजे क्रिस्टोफर (Dr. DJ Christopher) ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “सभी पहलुओं में, भारतीय रोगियों का प्रदर्शन खराब रहा.” इसके अलावा, चाइनीज और यूरोपियन लोगों की तुलना में अधिक भारतीयों में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियां थीं. 
नानावटी अस्पताल में हेड ऑफ पल्मोनोलॉजी, डॉ सलिल बेंद्रे (Dr. Salil Bendre) ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “मध्यम से गंभीर संक्रमण का अनुभव करने वाले कोविड रोगियों के एक उपसमूह को, जिन्हें शुरुआत के लगभग 8-10 दिनों बाद अस्पताल में भर्ती होने, ऑक्सीजन सपोर्ट और स्टेरॉयड ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, बाद में संक्रमण के बाद फेफड़ों में तंतुमयता विकसित हो जाती है। “इनमें से लगभग 95% रोगियों में धीरे-धीरे फेफड़ों की क्षति दूर हो जाती है, जिससे लंबे समय में 4-5% स्थायी रूप से कमजोर रह जाते हैं.” 



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