आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में बच्चों और युवाओं में कमजोर नजर (Weak Eyesight) की समस्या एक नई महामारी बनती जा रही है. एक ताजा रिसर्च में खुलासा हुआ है कि रोजाना सिर्फ 1 घंटे मोबाइल, टैबलेट या स्मार्टफोन जैसी डिजिटल स्क्रीन का इस्तेमाल करने से मायोपिया (नजदीक की चीजें साफ दिखना, दूर की चीजें धुंधली लगना) का खतरा 21 प्रतिशत तक बढ़ सकता है.
जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित इस स्टडी में 45 अध्ययनों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें 3.35 लाख से ज्यादा प्रतिभागियों को शामिल किया गया. इसमें पाया गया कि स्क्रीन के सामने 1 से 4 घंटे बिताने से मायोपिया का खतरा तेजी से बढ़ता है. खास बात यह है कि 1 घंटे से कम स्क्रीन टाइम से मायोपिया का कोई बड़ा खतरा नहीं होता, जिससे यह संकेत मिलता है कि 1 घंटे से कम स्क्रीन समय सुरक्षित माना जा सकता है.
शोधकर्ताओं के अनुसार, 1-4 घंटे तक डिजिटल स्क्रीन के संपर्क में रहने से मायोपिया की आशंका अधिक होती है, लेकिन 4 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम के बाद यह खतरा धीमी गति से बढ़ता है.
बच्चों और युवाओं में तेजी से बढ़ रही समस्याडिजिटल युग में बच्चे और युवा लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. कोविड-19 महामारी के बाद से ऑनलाइन पढ़ाई, गेमिंग और सोशल मीडिया की वजह से बच्चों में स्क्रीन टाइम में भारी बढ़ोतरी हुई है. इसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ रहा है. एक्सपर्ट का मानना है कि स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों को नुकसान पहुंचाती है, जिससे आंखों में थकान, जलन और मायोपिया जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं.
कैसे करें बचाव?* बच्चों और युवाओं के स्क्रीन समय को 1 घंटे से कम रखें.* हर 20 मिनट बाद 20 फीट दूर की चीज को 20 सेकंड तक देखने की आदत डालें.* रोजाना कम से कम 2 घंटे धूप में समय बिताएं, जिससे आंखें स्वस्थ रहें.* ब्लू लाइट फिल्टर का इस्तेमाल करें. डिजिटल डिवाइस में ब्लू लाइट प्रोटेक्शन को ऑन करें.* हर 6 महीने में आंखों की जांच जरूर कराएं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.