शाश्वत सिंह/झांसी: एक आम आदमी मन में दृढ़ निश्चय और आंखों में उम्मीद लेकर प्रदेश कमाने के लिए जाता है . वहां जी तोड़ मेहनत करने के बाद वह कुछ पैसे बचाता है. मन में हमेशा घरवालों का ख्याल होता है . जो पैसे उनके पास आता है उसमें से थोड़ा रखकर प्रवासी मजदूर घरवालों को भेज देते है ताकि मां, पत्नी और बच्चों को कोई दिक्कत न हो. प्रवासी मजदूरों के मन में इच्छाएं बहुत होती है . लेकिन हर मजदूर की कहानी फिल्मों जैसी नहीं होती कभी-कभी इसका दर्दनाक अंत भी होता है और घर पहुंचती है मजदूर की लाश, वह भी कर्ज में डूबी हुई.
यह कहानी है बिहार के रहने वाले परविंद उरांव की. परविंद पश्चिम बिहार के भैरागंज स्थित अपने गांव से कर्नाटक की बेलगांव की गन्ना फैक्ट्री में काम करने के लिए गए थे. साथ में 17 अन्य दोस्त भी काम करने के लिए वहां पहुंचे थे. लगभग 3 महीने वहां काम करने के बाद सब अपने गांव लौटने की तैयारी में थे. सभी दोस्त बेलगांव से झांसी आ रही ट्रेन के एक डिब्बे में चढ़ गए. भोपाल आया तो दोस्तों ने समोसे खाए. परविंद ने सिर्फ पानी पिया और सो गया. ट्रेन आज सुबह जब झांसी पहुंची तो परविंद के साथियों ने उसे उठाने का प्रयास किया. लेकिन, वह नहीं उठा. यह देख परविंद के साथी घबरा गए.
झांसी स्टेशन पर डॉक्टर ने किया मृत घोषितझांसी के वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन पर जब रेलवे डॉक्टर ने परीक्षण किया तो उन्होंने परविंद को मृत घोषित कर दिया. जीआरपी ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. परविंद के साथी अभी मौत की दुख से बाहर भी नहीं आ पाए थे कि एक और समस्या उनके सामने आकर खड़ी हो गई. परविंद के साथियों की कोशिश थी की उसके शव को घर लेकर जाएं. इसके लिए जब एक एंबुलेंस ड्राइवर से किराए की बात की तो उसने 40000 रुपए मांग लिए.
साहूकार से पैसे लेकर उतारेंगे कर्जपरविंद के दोस्त सुनील ने बताया कि परविंद सिर्फ 30000 रुपए ही कमाकर लाया था. बहुत समझाने पर एंबुलेंस ड्राइवर इस शर्त पर माना की 10000 रुपए उसे गांव पहुंचकर मिल जायेंगे. सुनील ने बताया कि गांव पहुंचकर साहूकार से पैसे लेकर एंबुलेंस ड्राइवर का कर्ज उतारेंगे.
.Tags: Jhansi news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : February 12, 2024, 21:46 IST
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