Last Updated:January 14, 2025, 18:51 ISTMilkipur By Election: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी और सपा के बीच कड़ा मुकाबला है. एक सीट पर दोनों पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.अयोध्याः मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी और सपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. सपा ने 2022 के चुनाव में यह सीट जीती थी और अवधेश प्रसाद विधायक चुने गए थे. अब वह सांसद हो गए हैं ऐसे में सपा उपचुनाव में मिल्कीपुर सीट गंवाना नहीं चाहती. उधर, बीजेपी इसे हर हाल में अपने पास चाहती है. जिससे कि वह लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर मिली हार का बदला ले सके. यहां उपचुनाव का ऐलान हो गया है. 5 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. दोनों पार्टियां ऐडी-चोटी का जोर लगा रही हैं, लेकिन यहां किसका जादू चलेगा. आइए समझते हैं समीकरण…
समाजवादी पार्टी (सपा) ने फैजाबाद के लोकसभा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मिल्कीपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है. आज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जिलापंचायत प्रतिनिधि चंद्रभान पासवान को टिकट देकर चुनाव को रोचक मोड़ में ला दिया है. कांग्रेस और बसपा ने उपचुनाव से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं, जिसके चलते यहां पर सीधे सपा बनाम बीजेपी की लड़ाई बन गई है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सपा ने अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है, जो पासी समुदाय से आते हैं. मिल्कीपुर सीट पर पासी वोटों के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने भी पासी समाज के नेता पर ही दांव लगाया है.
बीजेपी के टिकट के लिए जिन नेताओं ने दावेदारी कर रखी थी, उसमें ज्यादातर पासी समाज से ही लोग थे. इसीलिए मिल्कीपुर उपचुनाव सिर्फ सपा बनाम बीजेपी ही नहीं बल्कि पासी बनाम पासी का भी है. मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से सत्ता पर भले ही कोई असर न पड़े, लेकिन जीत-हार के सियासी निहितार्थ कई मायने में अहम है. ऐसे में पक्ष-विपक्ष पहले से ही पूरी ताकत लगाए हुए हैं. बीजेपी की नजर यह सीट जीतकर 2024 में अयोध्या जिले की फैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार का जख्म भरने पर है. क्योंकि सपा ने लोकसभा सीट जीतने के बाद बीजेपी पर सवाल खड़े किए थे.
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मिल्कीपुर के विधायक रहे अवधेश प्रसाद ने राममंदिर के लोकार्पण के कुछ महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या से जीत दर्ज कर पूरे देश को चौंका दिया था. इस हार का बोझ बीजेपी के लिए इतना भारी रहा कि केंद्र में उसकी लगातार तीसरी पारी का जश्न भी फीका पड़ गया था. इसके बाद से ही अवधेश प्रसाद सपा सहित विपक्ष के ‘पोस्टर बॉय’ बन गए. अब मिल्कीपुर से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. इसलिए सपा के ‘पोस्टर बॉय’ की भी साख यहां दांव पर लग गई है.
पिछले महीने हुए उपचुनाव में सपा ने बगल की ही कटेहरी सीट के अलावा संभल की कुंदरकी सीट भी गंवा दी थी. अखिलेश की परंपरागत सीट करहल जीतने तक में सपा के पसीने छूट गए थे. इसलिए, इस सीट के नतीजे हार के झटके से उबरने के लिहाज से सपा के लिए भी अहम हैं. सपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट जीती थी और अवधेश प्रसाद विधायक चुने गए थे. अब अवधेश प्रसाद सांसद बन गए हैं. ऐसे में सपा नेतृत्व किसी भी स्थिति में मिल्कीपुर सीट गंवाने के मूड में नहीं है. पार्टी का मानना है कि इस इकलौती सीट के नतीजे का असर विधानसभा में विधायकों की संख्या से अधिक 2027 के सियासी समीकरण पड़ेगा.
मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजे यूपी के पॉलिटिकल परसेप्शन को बदलने वाला होगा. इसलिए योगी सरकार और बीजेपी मिल्कीपुर में कुंदरकी से भी बड़ी जीत की रणनीति बना रही है तो सपा इस सीट को हरहाल में बरकरार रखने की कवायद में है. इसी मद्देनजर सपा नेतृत्व ने अपने कोर संगठन से लेकर फ्रंटल संगठनों तक के प्रमुख चेहरों को मिल्कीपुर सीट पर जिम्मेदारी सौंप दी है.
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी और सपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. बसपा मिल्कीपुर उपचुनाव नहीं लड़ रही है. बसपा प्रमुख मायावती ने पहले ही साफ कर दिया था कि पार्टी मिल्कीपुर सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारेंगी. कांग्रेस भी मिल्कीपुर सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतार रही, हालांकि उसने सपा को समर्थन करने का फैसला लिया है. आजाद समाज पार्टी ने जरूर मिल्कीपुर सीट पर सूरज चौधरी को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन मुख्य रूप से मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच ही रहने वाला है.
2022 में मिल्कीपुर और 2024 में फैजाबाद सीट गंवाने वाली बीजेपी के लिए उपचुनाव का नतीजा ‘परसेप्शन’ के लिहाज से अहम है. हालिया उपचुनाव में शानदार जीत से लबरेज पार्टी मिल्कीपुर जीतकर अयोध्या के परिणाम को ‘एक्सिडेंटल’ साबित करना चाहती है. अगर नतीजे पक्ष में नहीं रहे तो उसके लिए विपक्ष को जवाब देना कठिन होगा. यही कारण है कि सरकार और संगठन यहां पूरी ताकत झोंके हुए हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ खुद चार बार मिल्कीपुर का दौरा कर चुके हैं तो सपा भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही.
यूपी में बीजेपी ने अपनी सियासी जड़ें जमाने के लिए जो सोशल इंजीनियरिंग बनाई थी, उसे अखिलेश यादव 2024 के चुनाव में पीडीए फॉर्मूले के जरिए तोड़ने में कामयाब रहे थे. बीजेपी ने गैर यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित वोटों को जोड़ा था, लेकिन उसमें सपा सेंधमारी करने में सफल रही. बीजेपी के साथ जुड़ने वाला पासी समाज का वोट लोकसभा चुनाव में उससे दूर हुआ है और सपा के करीब गया. मिल्कीपुर सीट पर पासी वोटर बड़ी संख्या में हैं, जिसे देखते हुए सपा ने पासी समाज से आने वाले अजीत प्रसाद को उतारा है तो बीजेपी ने भी पासी समाज को टिकट देकर चुनाव को रोचक कर दिया है.
मिल्कीपुर सीट पर पासी वोट बैंक जिस तरफ शिफ्ट होगा, चुनाव वही जीतेगा. यहां ब्राह्मण-यादव के बाद करीब 55 हजार की आबादी पासी वोटर्स की है. ऐसे में पासी वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी भी पासी समाज से ही प्रत्याशी उतारकर चुनाव को दिलचस्प कर दिया है. वहीं भारतीय जनता पार्टी ने पासी समाज के नेता पर दांव लगाकर मिल्कीपुर का चुनाव पासी बनाम पासी कर दिया है. ऐसे में पासी वोटर जिस दल की तरफ रुख करेगा, उसकी जीत होगी. मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर करीब 3.58 लाख मतदाता हैं. इनमें एक लाख से ज्यादा दलित मतदाता हैं. दलितों में भी करीब 55 हजार पासी समाज के मतदाता हैं.
मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी ने पासी समाज का उम्मीदवार उतारकर, पासी समाज के वोट को एक तरफा सपा के पासी प्रत्याशी को जाने से रोक दिया है. ऐसे में पासी समाज के वोटों की ताकत के कारण ही बीजेपी भी पासी समाज के प्रत्याशी को ही उतारकर चुनाव को अहम मुकाबले में ला दिया है.
Location :Ayodhya,Faizabad,Uttar PradeshFirst Published :January 14, 2025, 18:51 ISThomeuttar-pradeshक्या BJP ले पाएगी हार का बदला, या कामय रहेगा सपा का ‘राज’