Microplastics found in 68% of bladder cancer cases WHO report raises big questions on water safety | 68% ब्लैडर कैंसर के मामलों में मिले माइक्रोप्लास्टिक, WHO की रिपोर्ट ने पानी की सफाई पर उठाया बड़ा सवाल

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Microplastics found in 68% of bladder cancer cases WHO report raises big questions on water safety | 68% ब्लैडर कैंसर के मामलों में मिले माइक्रोप्लास्टिक, WHO की रिपोर्ट ने पानी की सफाई पर उठाया बड़ा सवाल



एक नए शोध ने पीने के पानी की सुरक्षा पर चिंता पैदा कर दी है. ऑस्ट्रेलिया की बॉन्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में ब्लैडर कैंसर के 68% मामलों में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं, जिन्हें सूजन और सेल डैमेज से जोड़ा गया है. इस अध्ययन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 2019 में जारी की गई रिपोर्ट को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि पीने के पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है.
शोधकर्ताओं ने WHO जैसी संस्थाओं से अपील की है कि वे माइक्रोप्लास्टिक्स के मानव स्वास्थ्य पर खतरे को लेकर अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करें. अध्ययन में कहा गया है कि कुल 18 लेखों की पहचान की गई, जिनमें से छह ने ह्यूमन ब्लैडर सिस्टम में माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स (MNPs) की मौजूदगी की जांच और विशेषता बताई. माइक्रोप्लास्टिक्स किडनी, यूरिन और ब्लैडर कैंसर के नमूनों में पाए गए.
माइक्रोप्लास्टिक्स क्या हैं और वे मानव शरीर में कैसे प्रवेश करते हैं?माइक्रोप्लास्टिक्स छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जिनका आकार 5 मिलीमीटर से भी कम होता है. ये ज्यादातर महासागरों, नदियों, मिट्ट और यहां तक कि वातावरण में भी पाए जाते हैं. डेली लाइफ में प्लास्टिक का ज्यादा उपयोग और कचरे के प्रबंधन की कमी इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं. प्लास्टिक को नष्ट होने में वर्षों का समय लगता है, जिससे ये छोटे कणों में बदल जाते हैं.
पानी और भोजन से पहुंचता है माइक्रोप्लास्टिक्समाइक्रोप्लास्टिक्स मानव शरीर में मुख्य रूप से भोजन और पानी के माध्यम से प्रवेश करते हैं. समुद्री जीव (जो अक्सर प्लास्टिक को भोजन समझकर निगलते हैं) हमारी डाइट में शामिल होते हैं. बोतलबंद और नल का पानी भी माइक्रोप्लास्टिक्स से दूषित पाया गया है. इसके अलावा, हवा के माध्यम से भी ये कण शरीर में प्रवेश करते हैं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में, जहां प्लास्टिक के कण धूल के रूप में जमा होते हैं.
शोध में यह पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर के कई अंगों में पाए जाते हैं, जिनमें फेफड़े, लिवर, किडनी और प्लीहा शामिल हैं. फेफड़ों में ये कण सूजन या श्वसन समस्याओं का कारण बन सकते हैं. इसी तरह, लिवर और किडनी में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति इनके सामान्य कामों में रुकावट पैदा कर सकती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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