महाकुंभ मेला 2025: कैसे US सेना के जवान माइकल बने बाबा मोक्षपुरी, नीम करोली बाबा के बारे में कही अद्भुत बात

admin

सेना की वर्दी में था जवान, अचानक पुलिस ने मांगी तलाशी, बोला- 'मेरा नाम..

Last Updated:January 14, 2025, 01:18 ISTMahakumbh Mela 2025: महाकुंभ 2025 के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के अवसर पर 13 जनवरी को शाम छह बजे तक 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई. इस दौरान, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए.महाकुंभ नगर. महाकुंभ 2025 ने भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के संतों और आध्यात्मिक गुरुओं को आकर्षित किया है. इनमें से एक नाम है अमेरिका के न्यू मैक्सिको में जन्मे बाबा मोक्षपुरी का, जिन्होंने प्रयागराज के पवित्र संगम पर अपनी उपस्थिति से सभी का ध्यान खींचा. कभी अमेरिकी सेना में सैनिक रहे माइकल अब बाबा मोक्षपुरी बन गए हैं. उन्होंने आध्यात्मिक यात्रा और सनातन धर्म से जुड़ने की कहानी साझा की.

बाबा मोक्षपुरी कहते हैं, “मैं भी कभी साधारण व्यक्ति था. परिवार और पत्नी के साथ समय बिताना और घूमना मुझे पसंद था. सेना में भी शामिल हुआ. लेकिन एक समय ऐसा आया जब मैंने महसूस किया कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है. तभी मैंने मोक्ष की तलाश में इस अनंत यात्रा की शुरुआत की.” आज वह जूना अखाड़े से जुड़े हैं और अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर चुके हैं.

अमेरिका में जन्मे बाबा मोक्षपुरी ने साल 2000 में पहली बार अपने परिवार (पत्नी और बेटे) के साथ भारत यात्रा की. वह बताते हैं, “वह यात्रा मेरे जीवन की सबसे यादगार घटना थी. इसी दौरान मैंने ध्यान और योग को जाना और पहली बार सनातन धर्म के बारे में समझा. भारतीय संस्कृति और परंपराओं ने मुझे गहराई से प्रभावित किया. यह मेरी आध्यात्मिक जागृति का प्रारंभ था, जिसे मैं अब ईश्वर का आह्वान मानता हूं.”

बाबा मोक्षपुरी के जीवन में बड़ा बदलाव तब आया जब उनके बेटे का असमय निधन हो गया. उन्होंने कहा, “इस दुखद घटना ने मुझे यह समझने में मदद की कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है. इसी दौरान मैंने ध्यान और योग को अपनी शरणस्थली बनाया, जिसने मुझे इस कठिन समय से बाहर निकाला.”

उसके बाद बाबा मोक्षपुरी ने योग, ध्यान और अपने अनुभवों से मिली आध्यात्मिक समझ को समर्पित कर दिया. वह अब दुनिया भर में घूमकर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की शिक्षाओं का प्रचार कर रहे हैं. 2016 में उज्जैन कुंभ के बाद से उन्होंने हर महाकुंभ में भाग लेने का संकल्प लिया है. उनका मानना है कि इतनी भव्य परंपरा सिर्फ भारत में ही संभव है.

बाबा मोक्षपुरी ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा में नीम करोली बाबा के प्रभाव को खासतौर पर बताया. वे कहते हैं, “नीम करोली बाबा के आश्रम में ध्यान और भक्ति की ऊर्जा ने मुझे गहराई से प्रभावित किया. मुझे वहां ऐसा लगा मानो बाबा स्वयं भगवान हनुमान का रूप हैं. यह अनुभव मेरे जीवन में भक्ति, ध्यान और योग के प्रति मेरी प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है.”

भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से गहरे जुड़े बाबा मोक्षपुरी ने अपनी पश्चिमी जीवनशैली को त्यागकर ध्यान और आत्मज्ञान के मार्ग को चुना. अब वे न्यू मैक्सिको में एक आश्रम खोलने की योजना बना रहे हैं, जहां से वे भारतीय दर्शन और योग का प्रचार करेंगे.
Location :Allahabad,Uttar PradeshFirst Published :January 14, 2025, 01:18 ISThomeuttar-pradeshमहाकुंभ की महिमा, कैसे US सेना के जवान माइकल बन गए बाबा मोक्षपुरी

Source link