‘मेरे सपनों की कार में कुछ नहीं मिला’, शख्स ने हुंडई कंपनी पर ठोका 1 हजार करोड़ रुपए का केस

admin

'मेरे सपनों की कार में कुछ नहीं मिला', शख्स ने हुंडई कंपनी पर ठोका 1 हजार करोड़ रुपए का केस



आगरा: यूपी के आगरा में एक कार उपभोक्ता ने हुंडई कंपनी पर 1000 करोड़ रुपए का केस कंज्यूमर कोर्ट (उपभोक्ता न्यायालय) में दायर किया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह के द्वारा कंज्यूमर कोर्ट में दिए प्रार्थना पत्र में उपभोक्ता ने कहा है कि हुंडई कंपनी ने उसके साथ धोखा किया है. कार में जो सेफ्टी फीचर्स बताए गए थे, वे उसमें उपलब्ध नहीं हैं. यह भारत सरकार की गाइडलाइन क्रैश टेस्ट स्पीड को भी पूरा नहीं करती है. इस वजह से भारत के हाईवे और एक्सप्रेसवे पर चलने के लायक नहीं है. याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि कार से यात्रा के दौरान याचिकाकर्ता के परिवार को कोई हानि पहुंचती है तो इसकी जिम्मेदार सिर्फ हुंडई कंपनी की होगी. याचिकाकर्ता ने उपभोक्ता फोरम में जो वाद दायर किया है, उसमें हुंडई कंपनी के कार्यकारी अधिकारी यूइसुंग, अध्यक्ष व सीईओ जे हूं चांग समेत हुंडई के अन्य अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है.
यह है पूरा मामलायाचिकाकर्ता राजेंद्र कुमार ने बताया कि मैंने अपनी मेहनत की कमाई और बैंक से लोन लेकर सपनों की पहली कार 13 नवंबर 2020 को खरीदी थी, ताकि पत्नी और दोनों बेटियों के साथ कहीं भी घूम सकूं. मैंने कमलानगर स्थित एनआरएल से सैंट्रो स्पोर्टज (सीएनजी / पेट्राल) खरीदी थी. मेरी सैंट्रो स्पोर्टज नंबर UP 80, FQ 7866 है. कार खरीदने के लिए मैंने इंडियन बैंक से पांच लाख रुपए का कार लोन भी लिया, जिसकी किश्त मैं लगातार दे रहा हूं. कंपनी ने मुझे जो ऑल न्यू सेंट्रो स्पोर्टस कार दी है, वो हकीकत में नहीं है. मुझे केवल दस्तावेजों में स्पोर्टस कार का मॉडल दिया गया है, जबकि कार साधारण व पुराने मॉडल की है. हालांकि, मुझसे ऑल न्यू सेंट्रो स्पोर्ट्स की कीमत ली गई है. जब मैंने कार खरीदी थी तो कंपनी ने मुझे एक पुस्तिका दी थी, जिसमें कार की तमाम विशेषताएं लिखीं हैं. इसमें डुअल एयर बैग, रियर पार्किंग कैमरा, रियर डिफॉगर, माइक्रो एंटीना, रियर वॉशर, वाइपर और वीडियो स्क्रीन का जिक्र था. मगर कार में कुछ भी उपलब्ध नहीं है. मैंने जब इस बारे में सवाल किए तो किसी ने मेरी नहीं सुनी. मुझे केवल डिलीवरी के समय ही कार दिखाई गई. बुकलेट के मुताबिक, मेरे पास पुरानी कार है. जबकि, मुझसे कीमत ऑल न्यू सेंट्रो स्पोर्ट्स मॉडल की ली गई. कार सुरक्षा उपायों के आधार पर बेहद असुरक्षित और खतरनाक है. जब मैंने कार खरीदी थी. तो बताया गया था कि ऑल न्यू सेंट्रो स्पोर्ट्स कार की मेंटेनेंस कॉस्ट 30 पैसे से 40 पैसे प्रति किलोमीटर बताई. मगर इससे अधिक चार्ज मुझसे वसूला गया.
कंपनी के पास है सिर्फ दो सुरक्षा रेटिंग्सअधिवक्ता एपी सिंह ने बताया कि कंपनी ने ग्लोबल एनसीएपी क्रैश टेस्ट के परिणाम को आधार बनाकर याचिकाकर्ता को कार बेची है. कंपनी के पास केवल 2 सुरक्षा रेटिंग है. इससे याचिकाकर्ता के परिवार की जान सफर के दौरान जोखिम में रहती है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने आरटीआई में जो सूचना दी है, उसके इस मुताबिक, 56 किमी प्रति घंटा की गति वाली कार की 2 स्टार रेटिंग है, जबकि इस कार की अधिकतम गति 180 किमी प्रति घंटा दी गई है. देश के तमाम हाईवे और एक्सप्रेसवे पर अधिकतम स्पीड 120 किमी प्रति घंटा है. ऐसे में कार की क्रैश टेस्ट रेटिंग शून्य है, जो कार चालक और उसमें सफर करने वालों के लिए बेहद खतरनाक है.
अगर कोई हादसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कार कंपनी की होगीयाचिकाकर्ता राजेंद्र कुमार का कहना है कि कार में सफर के दौरान मेरे साथ या परिवार के साथ किसी भी दुर्घटना या अनहोनी होने पर बीमा कंपनी, राज्य सरकार, केंद्र सरकार या अन्य निकाय के अलावा इसकी पूरी जिम्मेदारी कार कंपनी की होगी. क्योंकि, जब मुझे कार दी गई तो कार दुर्घटना परीक्षण के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. रेटिंग और न ही इस कार पर सुरक्षित गति के संबंध में मुझसे कोई जानकारी साझा की गई थी. याचिकाकर्ता राजेंद्र का कहना है कि भारत की सड़कों, राजमार्ग, एक्सप्रेस वे पर 80 किमी/घंटा, 90 किमी/घंटा, 100 किमी/घंटा, 110 किमी/घंटा, 120 किमी/घंटा, 150 किमी/घंटा और 180 किमी/घंटा की गति (180 किमी/घंटा से कार दौड़ती हैं. कंपनी का एकमात्र मकसद पैसा कमाना है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Agra news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : July 22, 2022, 06:47 IST



Source link