उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में पेशाब संबंधित बीमारियां बहुत ज्यादा आम हो जाती है. यूरोलॉजिकल डिजीज में बॉडी यूरिन को फिल्टर करने और इसे बाहर करने की क्षमता खो देता है। इसके कारण लाइफ की क्वालिटी और नॉर्मल हेल्थ पर बहुत पूरा इफेक्ट पड़ता है.
डॉ. आरिफ अख्तर, कंसल्टेंट-यूरोलॉजी, रोबोटिक और किडनी ट्रांसप्लांट, मारेंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम बताते हैं कि पुरुषों में ये बीमारियां प्रजनन प्रणाली और मूत्र मार्ग को प्रभावित करती हैं. ये यूरिनरी प्रॉब्लम नॉर्मल इंफेक्शन से लेकर प्रोस्टेट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों तक अलग-अलग हो सकती हैं. ऐसे में इनका समय पर पता लगाना और इलाज शुरू करना गंभीर परिणामों से बचा सकता है.
पुरुषों में होने वाले कॉमन यूरोलॉजिकल डिजीज
पुरुषों में यूरिन संबंधी बीमारियों में किडनी स्टोन, प्रोस्टेटाइटिस, मूत्र मार्ग के संक्रमण (UTIs), इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED), बीनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH), और ब्लैडर, किडनी और प्रोस्टेट के कैंसर शामिल हैं.
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यूरोलॉजिकल डिजीज के संकेत
– बार-बार पेशाब आना- पेशाब करते वक्त दर्द- पेशाब में खून आना- पेल्विक एरिया में दर्द- पेशाब कंट्रोल न हो पाना- इरेक्टाइल डिसफंक्शन- अंडकोष में दर्द या सूजन
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निदान
मूत्र संबंधी बीमारियों का प्रभावी उपचार सही समय पर निदान पर निर्भर करता है. निदान की प्रक्रिया में पहले एक पूरी मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल टेस्ट किया जाता है. साथ ही यूरिनालिसिस-पेशाब की जांच, प्रोस्टेट में प्रॉब्लम का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट, इंफेक्शन का पता लगाने के लिए ब्लड या सीमेन टेस्ट किया जा सकता है. इसके अलावा रिप्रोडक्टिंग ऑर्गन को चेक करने के लिए इमेजिंग टेक्नोलॉजी जैसे CT स्कैन, MRI और अल्ट्रासाउंड भी करवाना पड़ सकता है. वहीं कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी की जाती है.
इलाज
निदान के बाद, पेशाब के संबंधित बीमारियों को ठीक करने के लिए दवाओं और कभी-कभी ऑपरेशन की जरूरत भी पड़ती है. इसके साथ ही जल्दी रिकवरी के लिए नियमित व्यायाम और स्वस्थ वजन बनाए रखना, धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचना, संतुलित आहार और पर्याप्त पानी पीने भी जरूरी होता है.