हाइलाइट्सनेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आईडेंटिटी सिस्टम हर अपराधी की कुंडली तैयार करेगा. 1 जुलाई 2022 से नई व्यवस्था शुरू हो गई है. मेरठ. अब एफबीआई की तर्ज पर यूपी पुलिस ने कार्य करना शुरू कर दिया है. अब NAFIS यानि नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आईडेंटिटी सिस्टम हर अपराधी की कुंडली तैयार करेगा. मेरठ में अब तक 80 अपराधियों का डाटा अपलोड हो चुका है. एसपी क्राइम अनित कुमार का कहना है कि 1 जुलाई 2022 से नई व्यवस्था शुरु हो गई है. मेरठ में 80 क्रिमिनल्स का डेटा इस सिस्टम में अपलोड हो चुका है.
इस सिस्टम में क्रिमिनल का चेहरा, आंख, फिंगर प्रिंट सब दर्ज होगा. सबसे पहले ये प्रयोग जर्मनी में शुरु हुआ था. एफबीआई में भी इस तकनीक का प्रयोग हुआ और अब यूपी पुलिस में भी विदेशी कॉप की तर्ज पर कार्य शुरु हो चुका है. नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटिटी सिस्टम के जरिए जिला स्तर पर इसका गठन होने के बाद काम शुरू हो गया है. खास बात यह है कि इसे नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से जोड़ा गया है. इस पर किसी अपराधी का कोई विवरण एक बार दर्ज हुआ तो फिर फेरबदल नहीं हो सकेगा.
75 साल तक डेटा सुरक्षितबता दें कि पुलिस की गिरफ्त में आए कुख्यात अपराधी भूपेंद्र बाफर की कुंडली भी इस पर तैयार हो चुकी है. बताते हैं कि इस सिस्टम में 75 साल तक डेटा सुरक्षित रखा जाएगा. NAFIS सेल प्रभारी नीरज कुमार आनंद ने बताया कि एक बार विवरण दर्ज होने के बाद उसमें फेरबदल नहीं हो सकेगा. कोई अपराधी बाइज्जत बरी होता है तो उसे सेल में प्रार्थना पत्र देना होगा. यहां से उसे एडीजी (तकनीक) को भेजा जाएगा. वह प्रक्रिया पूरी कर उसका डेटा एनसीआरबी को भेजेंगे.
पूरा अपराध इतिहास होगा दर्जदंड प्रक्रिया (शिनाख्त) अधिनियम-2022 के तहत नई व्यवस्था तैयार हुई, जिसे छ।थ्प्ै नाम दिया गया. यह अपराधियों के मंसूबे फेल कर देगा. इसके लिए क्राइम ब्रांच में सेल तैयार की गई है. पुलिस गिरफ्त में आने वाला अपराधी जेल जाने से पहले इस खास सेल में पहुंचेगा. यहां उस अपराधी का नाम, पता, कहां-कहां अपराध किए, किस-किस जेल में रह चुका है के साथ संपूर्ण आपराधिक इतिहास के अलावा अंगुलियों की छाप (फिंगरप्रिंट), पैरों, तलवों की छाप (फुटप्रिंट), आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमीट्रिक डेटा दर्ज होगा. भविष्य में खून, बाल व लार आदि जैविक नमूने लेने की योजना है.
तकनीकी ज्ञान वाला स्टाफइस सेल में स्टाफ भी तकनीकि रूप से ज्ञान रखने वाला तैनात किया गया है. बीटेक, बीएससी, एमटेक और एमएससी करने वाले पुलिसकर्मियों को प्राथमिकता दी गई है. यह पूरा स्टाफ कंप्यूटर के अलावा थंब स्कैनर, लाइव स्कैनर, लॉजिस्टिक कैमरा, फ्लैट बैक स्कैनर के अलावा विवरण दर्ज करने वाले मीसा साफ्टवेयर का भी अच्छा ज्ञान रखते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Meerut news, Technology, Up crime news, UP police, Yogi governmentFIRST PUBLISHED : July 30, 2022, 23:53 IST
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