Meerut: बिना लेबर पेन के होगी महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी, मेरठ मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई नई विधि

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Meerut: बिना लेबर पेन के होगी महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी, मेरठ मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई नई विधि



मेरठ. प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाले लेबर पेन से अब महिलाओं को निजात मिलेगी. कई बार जब नार्मल डिलीवरी के दौरान महिलाएं दर्द सहन नहीं कर पाती हैं, तो महिला डॉक्टरों द्वारा प्रसव के लिए सिजेरियन ऑपरेशन कराया जाता है. वहीं, अब नॉर्मल डिलीवरी के दौरान महिलाओं को अधिक दिक्कत ना हो, इसके लिए मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज ने एनाल्जेसिया विधि द्वारा पीड़ा रहित प्रसव कराने की शुरुआत कर दी है.मेरठ मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति विभाग की आचार्य डॉक्टर रचना चौधरी ने बताया कि एनाल्जेसिया विधि से एपीड्यूरल एनेस्थीसिया देकर पीड़ा रहित प्रसव कराने की शुरुआत मेरठ मेडिकल कॉलेज में की गई है. जबकि 23 वर्षीय सोनिया की डिलीवरी इसी माध्यम से कराई गई है. उन्होंने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों में इस प्रकार से पहले से डिलीवरी कराई जाती है जिसमें 50 से 60 हजार रुपए का खर्चा आता है, लेकिन मेडिकल कॉलेज में यह नि:शुल्क है.रीड की हड्डी में लगाई जाती है सुईस्त्री एवं प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ उर्मिला आर्य ने बताया कि एपीड्यूरल एनेस्थीसिया एक सबसे नवीनतम तकनीक में से एक है. इसमें मरीज की कमर में सुई लगाकर एपिड्यूरल कैथेटर के द्वारा एनेस्थीसिया दिया जाता है. मरीज की नार्मल डिलीवरी में कोई पीड़ा नहीं होती एवं प्रसव भी आसानी से हो जाता है.अगर मरीज को इसके बाद भी सिजेरियन ऑपरेशन द्वारा प्रसव कराना पड़ता है, तो भी इसी एनेस्थीसिया के द्वारा सिजेरियन प्रसव भी कराया जा सकता है. अलग से मरीज को कोई बेहोशी नहीं दी जाती है.यह भी है फायदामेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ वीडी पांडे ने बताया कि एपिड्यूरल एनेस्थीसिया का एक और लाभ यह भी है कि मरीज को सिजेरियन के बाद भी दर्द नहीं होता है. इससे मरीज के द्वारा पैदा हुए बच्चे को जल्दी से मां का दूध आसानी से उपलब्ध हो जाता है क्योंकि मां प्रसव के बाद पीड़ा ग्रस्त नहीं रहती है, इसलिए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करती हैं. यानी मां का दूध आसानी से नवजात शिशुओं को मिल जाएगा.प्रथम सफल ट्रीटमेंट में रहा योगदानमेडिकल कॉलेज में जो पहली बार इस विधि से महिला की डिलीवरी कराई गई है.उसमें डॉक्टर मोनिका, डॉ नेहा, डॉक्टर हेमा, डॉक्टर राजेश, डॉक्टर नैंसी, एनेस्थीसिया विभाग के आचार्य डॉक्टर सुभाष दहिया, डॉक्टर सुधीर धामा, डॉक्टर झीलम, डॉक्टर निशांस, डॉ चारू का अहम योगदान रहा. बताते चलें कि प्रसव के दौरान होने वाले असहनीय दर्द के डर की वजह से आजकल बहुत महिलाए अनुरोध करती हैं कि उनका प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन द्वारा ही कर दिया जाए. ऐसे में एपीड्यूरल एनेस्थीसिया विधि द्वारा प्रसव वरदान साबित हो सकता है. विशेषकर उन महिलाओं के लिये जिन्होंने प्रथम बार गर्भ धारण किया हो.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : December 09, 2022, 17:52 IST



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