संजय यादव/ बाराबंकी: मछली पालन का व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है. आज कई किसान तालाब बनाकर या हैचरी विधि से भी मछली पालन कर रहे हैं. वहीं जिले के कई किसानों ने अतिरिक्त आमदनी के लिए मछली पालन को अपनाया है. क्योंकि मछली की बढ़ती डिमांड के बीच अब मैदानी इलाकों में भी मछली पालन किया जा रहा है. क्योंकि मछली पालन करने के लिए न तो अधिक जमीन और न कोई खास तकनीक की जरूरत होती है. इसको आप कम जमीन में भी आराम से कर सकते हैं. क्योंकि मछली पालन एक वर्ष में दो बार मुनाफा देती है, वहीं किसानों के लिए यह काम आसान बनाने के लिए सरकार भी सहयोग कर रही है.जिले के एक युवा किसान मछली पालन कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहा है. बाराबंकी जिले के मानपूर गांव के रहने वाले हरकेश कुमार ने कई सालों से मछली पालन कर रहा है, जिससे उसे लाखों रुपए की आमदनी हो रही है. वह अपने यहां तालाबों में पंगेशियश प्रजाति की मछली का पालन ज्यादा करते हैं. क्योंकि इसकी बाजार में काफी मांग रहती है. मछली पालन के इस व्यवसाय से प्रतिवर्ष 3 से 4 लाख रुपए तक का मुनाफा कमा रहे हैं.मछली पालन करने वाले युवा किसान हरकेश कुमार ने लोकल 18 से बातचीत में बताया उसने करीब 3 साल पहले मछली पालन का व्यवसाय एक तालाब से शुरू किया था, जिसमें अच्छा मुनाफा हुआ. आज करीब तीन तालाबों में मछली पालन कर रहे हैं, जो पंगेशियश प्रजाति की हैं. करीब एक तालाब में तीन से चार हजार मछली के बच्चे डाले जाते हैं, जिसमें खर्च करीब एक तालाब में दो से ढाई लाख रुपए तक आता है. वहीं मुनाफे की बात करें तो लागत निकाल करके करीब 3 से 4 लाख रुपए तक मुनाफा हो जाता है. पंगेसियस मछली करीब 6 महीने में तैयार हो जाती है और यह मछली अन्य मछलियों के मुकाबले इसकी बाजारों मे डिमांड ज्यादा रहती है. जिससे यह करीब 100 से 120 रुपए के रेट से जाती है, जिससे हम लोगों को मुनाफा भी अच्छा मिलता है.FIRST PUBLISHED : October 2, 2024, 17:10 IST